दीपावली के पांच दिनी उत्सव में पहले दिन धनतेरस, दूसरे दिन नरक चतुर्दशी जिसे रूप चौदस भी कहते हैं, तीसरे दिन दीपावली, चौथे दिन गोवर्धन पूजा ( Govardhan puja 2021 date ) और पांचवें दिन भाईदूज का त्योहार मनाया जाता है। आओ जानते हैं कि कब है गोवर्धन पूजा, क्या है पूजा के मुहूर्त और कैसे करें पूजा। इसे अन्नकूट महोत्सव ( Annakut Mahotsav 2021 ) के नाम से भी जाना जाता है।
गोवर्धन पूजा कब है 2021 ( Govardhan Puja 2021 ) : कार्तिक माह में अमावस्या के दूसरे दिन प्रतिपदा के दिन गोवर्धन पूजा का पर्व रहता है। इस बार यह त्योहार 5 नंबर 2021 शुक्रवार को रखा जाएगा।
तिथि : शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिथि 05 नबंबर को प्रात: 02:44 से रात्रि 11:14 तक रहेगी।
योग : इस दिन आयुष्यमान योग, शोभन योग और सौभाग्य योग रहेगा।
5 नवंबर 2201 के दिन पूजा के मुहूर्त :
1. पहला मुहूर्त : सुबह 06:35:38 से 08:47:12 तक पूजा का शुभ मुहूर्त है।
2. दूसरा मुहूर्त : सायंकाल 03:21:53 से 05:33:27 तक शुभ मुहूर्त है।
1. इस दिन गोवर्धन पर्वत, गाय, बैल, भैंस, भगवान विश्वकर्मा और श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है। यह पूजा सुबह और शाम को की जाती है।
2. घर के सामने गोबर से गोवधर्न पर्वत की आकृति बनाकर उसे फूलों से सजाया जाता है। गोवर्धन के मध्य में एक मिट्टी के दीपक में दूध, दही, गंगाजल, शहद, बताशे आदि पूजा करते समय डाल दिए जाते हैं और बाद में प्रसाद के रूप में वितरित कर दिए जाते हैं।
3. पूजन के दौरान गोवर्धन पर धूप, दीप, नैवेद्य, जल, फल आदि चढ़ाए जाते हैं।
4. इसी दिन गाय, बैल, भैंस आदि कृषि कार्य में काम आने वाले पशुओं को सजाकर उनकी पूजा की जाती है। इस मौके पर सभी कारखानों और उद्योगों में मशीनों की पूजा भी होती है।
5. पूजा के बाद गोवर्धन के जयकारे के साथ गोवर्धन की 7 परिक्रमाएं लगाते हैं। परिक्रमा के वक्त हाथ में लोटे से जल गिराते हुए और जौ बोते हुए परिक्रमा पूरी की जाती है। इस दिन गोबर से गोवर्धन की आकृति बनाकर उसके समीप विराजमान कृष्ण के सम्मुख गाय तथा ग्वाल-बालों की रोली, चावल, फूल, जल, मौली, दही तथा तेल का दीपक जलाकर पूजा और परिक्रमा की जाती है।
6. इसे अन्नकूट महोत्सव इसलिए कहते हैं क्योंकि इस दिन श्रीकृष्णजी को छप्पन भोग लगाए जाते हैं।
7. ग्रामीण क्षेत्र में अन्नकूट महोत्सव इसलिए मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन नए अनाज की शुरुआत भगवान को भोग लगाकर की जाती है। इस दिन गाय-बैल आदि पशुओं को स्नान कराके धूप-चंदन तथा फूल माला पहनाकर उनका पूजन किया जाता है और गौमाता को मिठाई खिलाकर उसकी आरती उतारते हैं तथा प्रदक्षिणा भी करते हैं।