बहुत से लोगों को जैसे ही मालूम होता है कि उन्हें गठिया है, तो वे जीने की उमंग ही खो बैठते हैं। लेकिन जिस तरह हर मुश्किल का सामना किया जा सकता है, उस तरह गठिया का भी मुकाबला करके सेहत को बेहतर बनाया जा सकता है और दर्द को कम किया जा सकता है। यहाँ प्रस्तुत हैं ऐसा करने के कुछ आसान तरीके-
*अगर आप जोड़ों में या जोड़ों के आसपास दर्द, अकड़ाहट या सूजन महसूस कर रहे हैं, तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें। अपने आप तय करके न बैठ जाएँ कि आपको गठिया है। जब एक बार डॉक्टर यह तय कर दे कि गठिया है तो उससे उसका प्रकार मालूम कर लें। क्योंकि गठिया कई किस्म का होता है और हरेक का अलग-अलग तरह से उपचार होता है। सही डायग्नोसिस से ही सही उपचार हो सकता है।
*सही डायग्नोसिस जल्द हो जाए तो अच्छा। जल्द उपचार से फायदा यह होता है कि नुकसान और दर्द कम होता है। उपचार में दवाइयाँ, वजन प्रबंधन, कसरत, गर्म या ठंडे का प्रयोग और जोड़ों को अतिरिक्त नुकसान से बचाने के तरीके शामिल होते हैं।
*जोड़ों पर दबाव से बचें। ऐसे यंत्र हैं जिससे रोजमर्रा का काम आसान हो जाता है। जितना वजन बताया गया है, उतना ही बरकरार रखें। ऐसा करने से कूल्हों व घुटनों पर नुकसान देने वाला दबाव कम पड़ता है।
*वर्कआउट करें। कसरत करने से दर्द कम हो जाता है, मूवमेंट में वृद्धि होती है, थकान कम होती है और आप पूरी तरह स्वस्थ रहते हैं। मजबूती प्रदान करने वाली कई कसरतें हैं गठिया के लिए। अपने डॉक्टर या फिटनेस विशेषज्ञ से उसके बारे में मालूम कर लें।
*स्ट्रैचिंग एक्सरसाइज से जोड़ व मांसपेशियाँ लचीले रहते हैं। इससे तनाव कम होता है और रोजाना की गतिविधियाँ जारी रखने में मदद मिलती है।
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*गठिया में ज्यादातर लोगों के लिए सबसे अच्छी कसरत चहलकदमी है। इससे कैलोरी बर्न हो जाती है। मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं और हड्डियों में घनत्व बढ़ जाता है।
*पानी में की जाने वाली कसरतों से भी ताकत आती है, गति में वृद्धि होती है और जोड़ों में टूट-फूट भी कम होती है।
*हाल के शोधों से मालूम हुआ है कि विटामिन सी व अन्य एंटीऑक्सीडेंट ऑस्टियो-आर्थराइटिस के खतरे को कम करते हैं और उसे बढ़ने से भी रोकते हैं। इसलिए संतरा खाओ या संतरे का जूस पियो। ध्यान रहे कि संतरा व अन्य सिटरस फल फोलिक एसिड का अच्छा स्रोत हैं। फोलिक एसिड, मेथोट्रिजेट (जो गठिया के उपचार हेतु दी जाती है) के साइड इफेक्ट्स को कम करता है और जिन महिलाओं को लूप्स होता है, उनमें दिल के रोगों के खतरे को भी कम करता है।
*आपके आहार में पर्याप्त कैल्शियम होना चाहिए। इससे हड्डियाँ कमजोर पड़ने का खतरा नहीं रहता। अगर साधारण दूध नहीं पीना चाहते तो दही, चीज और आइसक्रीम खाएँ। पावडर दूध पुडिंग, शेक आदि में मिला लें। मछली, विशेषकर सलमोन (काँटे सहित) भी कैल्शियम का अच्छा स्रोत है।
*दवाई खाना न भूलें। अगर दवाइयाँ असर नहीं दिखा रहीं या साइड इफेक्ट हैं तो अपने डॉक्टर से बात करें। पूर्ण लाभ का अहसास होने में सप्ताह या कई बार महीने लग जाते हैं। कुछ साइड इफेक्ट वक्त के साथ कम हो जाते हैं।
*नाश्ता अच्छा करें। फल, ओटमील खाएँ और पानी पीएँ। जहाँ तक मुमकिन हो कैफीन से बचें।
*वे जूते न पहने जो आपका पंजा दबाते हों और आपकी एड़ी पर जोर डालते हों। पैडेड जूता होना चाहिए और जूते में पंजा भी खुला-खुला रहना चाहिए।
*सोते समय गर्म पानी से नहाना मांसपेशियों को रिलैक्स करता है और जोड़ों के दर्द को आराम पहुँचाता है। साथ ही इससे नींद भी अच्छी आती है।
*अपने डॉक्टर को यह अवश्य बता दें कि गठिया के अलावा आप किसी और परेशानी के लिए और कौन सी दवाई लेते हैं, चाहे वह न्यूट्रीशनल सप्लीमेंट ही क्यों न हो।
*काम के दौरान कई-कई बार ब्रेक लेकर सख्त जोड़ों और सूजी मांसपेशियों को स्ट्रैच करें।