डिमेंशिया और अल्ज़ाइमर्स ये दोनों ही बीमारियां याददाश्त से रिलेटेड हैं, अत: अक्सर इन के बीच के अंतर को समझने में परेशानी होती है। दोनों में अगर अंतर की बात करें तो यह कहा जा सकता हैं कि डिमेंशिया एक सिंड्रोम और अल्जाइमर एक डिजीज है। सिंड्रोम यानी किसी खास बीमारी के लक्षणों का एक समूह कहा जा सकता है, जिसका कोई भी निश्चित निदान अपने आप नहीं हो सकता है।
इसमें मुख्यतया: सोचने-समझने की क्षमता, याददाश्त, तर्क-वितर्क करने संबंधी समस्याएं आदि शामिल है। इतना ही नहीं अल्जाइमर्स रोगियों में डिमेंशिया रोग के कई लक्षण भी नजर आते हैं। वर्तमान समय में यह बीमारियां सिर्फ बुजुर्गों तक ही सीमित नहीं है, अब युवाओं में मेंटल हेल्थ इश्यूज के चलते इन रोगों के खास लक्षण दिखाई देने लगे हैं।
अल्जाइमर रोग (Alzheimer Disease) के पहले स्टेज में रोगी अपने परिवार, करीबी लोगों और दोस्तों को पहचानने लगता है, लेकिन वह यह भी महसूस करता है कि वह कुछ भूल रहा है। दूसरी स्टेज में भूलने की प्रक्रिया तेजी से बढ़ जाती है तथा उसके लक्षण सामने दिखने लगते हैं। तीसरी स्टेज में रोगी को कुछ भी याद नहीं रहता है तथा तब वह इस स्थिति में पहुंच जाता है कि अपना दर्द भी बता नहीं पाता है।
डिमेंशिया/ मनोभ्रंश रोग (Dementia Disease) वह अवस्था है, जिसमें मनुष्य की याददाश्त बेहद कमजोर हो जाती है, जिससे कई बार वह रोजमर्रा के जरूरत के कामकाज करने में भी असमर्थ हो जाता है। डिमेंशिया मस्तिष्क से जुड़ी एक बीमारी है, जो याददाश्त जाने का कारण बनती है।
डिमेंशिया रोग से दिमाग को सबसे ज्यादा क्षति पहुंचती है। इसमें कुछ सोच-विचार न कर पाना, याददाश्त कमजोर होना, खाने-पीने में दिक्कत, बातचीत में परेशानी, चलने-फिरने की समस्या में परेशानी होना तथा लोगों को पहचान पाने में दिक्कत महसूस करना यह सब डिमेंशिया के लक्षण हैं। डिमेंशिया को हम इस रोग का विस्तृत रूप कह सकते हैं, जिसके अंतर्गत अल्जाइमर की बीमारी आती है।
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