एप्टीट्यूड टेस्ट पर क्या कहते हैं एक्सपर्ट

सकारात्मक सोच और व्यक्तित्व विकास पर कई पुस्तकें लिख चुके जानेमाने मैनेजमेंट गुरु डॉ. विजय अग्रवाल सिविल सेवा में होने वाले इस बदलाव को सुखद और सही मानते हैं। उनके अनुसार अब तक जो प्रक्रिया थी उसका वास्तव में कोई अर्थ नहीं था। 300 अंक का विषय आधारित प्रश्नपत्र सही मायनों में अधिकारी की तलाश के लिए पर्याप्त नहीं था। इससे एक भावी अधिकारी में अपेक्षित गुणों का पता ही नहीं चल पाता था। व्यक्ति के वैल्यू सिस्टम, पर्सनेलिटी डेवलेपमेंट, लीडरशिप और कई ऐसी अनिवार्य बातों को नहीं परखा जा सकता था।

मात्र किसी एक विषय की विशेषज्ञता से आप एक जिम्मेदार अधिकारी कैसे तय हो सकते हैं? किसी घटना के प्रति आपकी क्या सोच है, कैसे आप विषम परिस्थिति में अपने धैर्य और साहस का परिचय देते हुए काबिल अफसर की जिम्मेदारी निभाते हैं यह इस परिवर्तित परीक्षा से ही जाना जा सकेगा। हालाँकि अब तक इसका सिलेबस तय नहीं हुआ है।

प्रतियोगी परीक्षा के एक्सपर्ट अनिल शर्मा मानते हैं कि वास्तव में अब किसी प्रत्याशी का समग्र मूल्यांकन होगा। ‍इस बदलाव से प्रत्याशी की वास्तविक मानसिक योग्यता का परीक्षण होगा। अब तक एक कुशल प्रशासक को परखा जाता था लेकिन आज के हालात में देश को एक कुशल प्रबंधक की अधिक जरूरत है। यह सिस्टम कुशल प्रबंधक तैयार करेगा।

अब तक किसी एक विषय को रटने वाले और स्कैनिंग सिस्टम से आगे निकल जाने वाले प्रत्याशी परीक्षा में अव्वल आते थे मगर अब ऐसा नहीं हो सकेगा। स्कैनिंग सिस्टम की वजह से वे विद्यार्थी जो औसत हैं किंतु विषय को फायदा मिलने पर प्रतिभाशाली विद्यार्थी को पीछे छोड़कर आगे निकल जाते थे। एक योग्य भावी अधिकारी महज इसलिए नुकसान में रहता था कि उसके द्वारा चयनित वैकल्पिक विषय उस वर्ष स्कैनिंग में फायदे में नहीं है। मेरा मानना है कि यह एक सही बदलाव है किंतु मुख्य परीक्षा यथावत रखने की बात दुविधा में डाल सकती है। क्योंकि इससे तैयारी के लिए मात्र 3 माह का समय होगा जो काफी नहीं है। पहले प्री एक्जाम के दौरान तैयारी हो जाती थी। मेरे विचार से अब मुख्य परीक्षा का पैटर्न भी चैंज करना होगा। ‍

पिछले दिनों नारायण मूर्ति ने इस तरफ ध्यान आकर्षित किया था कि देश के प्रशासकों में कुशल प्रबंधक के गुण होना जरूरी है यह फैसला संभवत: उसी बात का अमलीकरण है।

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