मैथ्स का फोबिया छात्रों में आम बात है। यह डर इतना अधिक गहराता जाता है कि वे भरसक इस सब्जेक्ट से भागने की कोशिश करते रहते हैं। लेकिन इस आपाधापी में वे शायद भूल जाते हैं कि यह विषय शत-प्रतिशत स्कोरिंग हो सकता है और बेहतरीन रिजल्ट बनाने में काफी मददगार भी। अगर वे एक बार ठान लें कि उन्हें इस विषय में पारंगतता हासिल करनी है तो कोई कारण नहीं है कि वे मैथ्स में इस समय भी गंभीरता से पढाई करते हुए अच्छे अंक नहीं जुटा सकते। इस बार हम बात कर रहे हैं ऐसे ही कुछ आसान परंतु प्रभावी टिप्स की जिनकी मदद से मैथ्स के अंकों को खोने से बचाया जा सकता है।
आम गलतियां 1. अक्सर देखने में आता है कि छात्र मैथ्स को भी सिर्फ पढ़ते या रटते हैं। समझने की कोशिश नहीं करते है। मैथ्स की पढ़ाई का यह तरीका बिलकुल गलत है।
2. पहले उत्तर देखकर प्रश्न हल करने की प्रवृत्ति भी छात्रों में पाई जाती है। इसमें भी नुकसान की गुंजाइश ज्यादा है।
3. एनसीईआरटी की टेक्स्ट बुक्स के बदले किसी अन्य पुस्तक या गाइड बुक को बोर्ड परीक्षा की तैयारी का आधार बनाना भी उचित नहीं है।
4. अंकों को बार-बार काटकर लिखना या ओवर राइटिंग करना भी कन्फ्यूजन पैदा कर सकता है और इस क्रम में गलतियां होने की आशंका बढ़ जाती है।
5. सिर्फ सॉल्व पेपर्स को देखकर मैथ्स का अभ्यास करने का कोई फायदा नहीं होता है।
6. उत्तर सही होने के बावजूद जल्दबाजी के कारण स्टेप बाय स्टेप प्रश्नों को सॉल्व करने का खामियाजा कम अंकों के रूप में भुगतना पड़ता है।
7. अक्सर युवा गणित के उत्तर लिखने में मानक/यूनिट का जिक्र अक्सर नहीं करते हैं। सवाल के अनुसार इसका उल्लेख अवश्य होना चाहिए।
8. सवाल करने के बाद दुबारा न देखने की प्रवृत्ति कई बार भारी पड़ जाती है।
सुधारने के टिप्स 1. अगर आपने अब तक कोर्स खत्म नहीं किया है तो बचे समय में एनसीईआरटी की टेक्स्ट बुक के उदाहरणों से शुरू करते हुए चैप्टर के प्रत्येक प्रश्न को हल करने का प्रयास करें। आरंभ में ज्यादा सफलता नहीं मिलेगी लेकिन इस प्रयास को अंत तक जारी रखें। धीरे धीरे आत्म विश्वास बढ़ता चला जाएगा।
2. फॉर्मूलों को रटकर नहीं बल्कि समझकर ही याद करें। बार-बार इस्तेमाल करने से तो फॉर्मूले वैसे ही याद होते चले जाएंगे।
3. टीचर द्वारा क्लास में करवाए गए प्रश्नों पर ज्यादा जोर दें। आपने क्लास बंक की है तो इसके लिए सहपाठियों की मदद भी ले सकते हैं।
4. प्रत्येक एक्सरसाइज के अंतिम प्रश्नों को किसी भी सूरत में अटेंप्ट करना नहीं भूलें।
5. सीबीएससी द्वारा जारी परीक्षा पत्र के पैटर्न और अंकों के वितरण की जानकारी अवश्य हासिल कर लें। इससे महत्वपूर्ण टॉपिक्स और उनके अंकों के मान का पता रहेगा।
6. सैंपल पेपर्स और पिछले वर्षों के बोर्ड्स के पेपर्स की प्रैक्टिस परीक्षा के दौरान ज्यादा से ज्यादा प्रश्नों को हल करने में सहायक सिद्ध होगी।
7. जो टॉपिक्स बिलकुल समझ में नहीं आ रहे हैं उन पर ज्यादा वक्त लगाना उचित नहीं कहा जा सकता है।
8. रिविजन, प्रैक्टिस और फिर गलतियों को समझते हुए आगे बढते जाना ही मैथ्स में सही रणनीति कही जा सकती है।
9. प्रश्नों के सामने ही रफ/कैलकुलेशन वर्क भी करना चाहिए ताकि एग्जामिनर को भी आपकी मेहनत दिखाई पड़े।
10. प्रत्येक प्रश्न को अलग पन्ने से शुरू करना चाहिए ताकि बार बार पन्ना उलटने की जरूरत न पड़े।
11. ध्यान रखें कि प्रत्येक प्रश्न के उत्तर में स्टेप्स के अलग-अलग नंबर देने का प्रावधान होता है। इसलिए हमेशा प्रश्नों को जहां तक संभव हो उस स्टेप तक अवश्य अटेंप्ट करें।
12. आजकल इंटरनेट और सीबीएससी की वेबसाइट पर टॉपर्स की उत्तर पुस्तिकाओं को अपलोड किया जाने लगा है, आप उसे देखकर उत्तर लेखन को अधिक बेहतर बना सकते हैं।