मग़फ़िरत (मोक्ष) की म़ंजिल पर पहुंचने के लिए सीधी राह है रोजा। मग़फ़िरत मामला है अल्लाह का और जैसा कि मज़कूर (उपर्युक्त) आयत में कहा गया है (कि अल्लाह जिसे चाहे सीधी राह दिखाए) उसके पसे-मंज़र यही बात है रोजा सीधी राह है। यानी रोजा रखकर जब कोई शख़्स अपने गुस्से, लालच, ज़बान, ज़ेहन और नफ़्स पर (इंद्रियों पर) काबू रखता है तो वह सीधी राह पर ही चलता है।
जैसा कि पहले भी कहा जा चुका है रोजा भूख-प्यास पर तो कंट्रोल है ही, घमंड, फ़रेब, (छल-कपट), फ़साद (झगड़ा), बेईमानी, बदनीयती, बदगुमानी, बदतमीज़ी पर भी कंट्रोल है।