एकादशी व्रत की 10 विशेषताएं, 10 लाभ और 10 विष्णु मंत्र
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार हर माह की 11वीं तिथि को एकादशी का व्रत-उपवास किया जाता है। यह व्रत 3 दिनों तक चलता है। इसमें दशमी तिथि की रात्रि से व्रत के नियम लेकर ग्यारस के दिन उपवास रखकर तथा द्वादशी तिथि के दिन पारण के पश्चात ही व्रत पूर्ण होता है।
एकादशी का व्रत श्री विष्णु के भक्त उनसे आशीर्वाद पाने की कामना से करते हैं तथा स्मार्त और वैष्णव संप्रदाय के लोग इस एकादशी (Ekadashi Worship 2023) का व्रत करके भगवान श्रीनारायण विष्णु को प्रसन्न करने के लिए उपवास करके उनकी भक्ति करते हैं।
आइए यहां जानते हैं ग्यारस व्रत की विशेषता, लाभ और मंत्रों के बारे में-
1. वर्षभर सभी एकादशियां अनेक पापों का नाश करने वाली मानी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु का पूजन तथा विधान करने से पुण्यों की प्राप्ति होती है।
2. एकादशी का दिन पितरों को मुक्ति के लिए बहुत खास हैं, क्योंकि जिन पितरों को मोक्ष प्राप्त नहीं हुआ हैं, उनके लिए इस दिन 1 लोटे पानी में थोड़े-से काले तिल मिलाकर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पितृ तर्पण करने से पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है।
3. ऐसी मान्यता है कि एकादशी व्रत की कथा सुनने मात्र से यह उपवास करने वालों का यश-वैभव संसार में फैलता है। एकादशी के दिन श्री नारायण की पूजा के लिए नारियल, नीबू, नैवेद्य, ऋतु फल आदि वस्तुओं को एकत्रित करके इससे विष्णु जी का पूजन करने तथा रात्रि जागरण करने से सभी तरह के पापों, संकट से मुक्ति मिलने के साथ ही जीवन में खुशियों का संचार होता है।
4. एकादशी व्रत रखने वाले भक्तों पर श्रीविष्णु की कृपा बरसने से उनके पितरों के लिए मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं।
5. एकादशी का व्रत करने मात्र से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट होकर, यह मोक्ष तथा जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति दिलाता है।
6. यह एकादशी सभी पापों को नष्ट करने वाली मानी गई है तथा इस व्रत से व्रतधारी के परिवार के लोगों को इसका पुण्यफल मिलता है।
7. वर्षभर में आने वाली सभी एकादशी के व्रत को अत्यंत पवित्र एवं जीवन के अंतिम समय में वैकुंठ दिलाने वाली तथा परिवार को हर कष्ट से मुक्ति देने वाली मानी गई है।
8. एकादशी की रात्रि को सोना नहीं चाहिए। इस व्रत में पूरी रात जाग कर श्री विष्णु की भक्ति करनी चाहिए। रात्रि के समय भगवान विष्णु की प्रतिमा के निकट बैठकर भजन करते हुए जागरण करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है।
9. एकादशी व्रत करने वालों को दूसरे दिन यानी पारणा करने से पूर्व ब्राह्मणों को भोजन करवाने के पश्चात दान-दक्षिणा अवश्य देनी चाहिए, उसके बाद ही स्वयं को पारण करना चाहिए, इससे श्री विष्णु प्रसन्न होकर अपने भक्तों पर अनेक शुभाशीष बरसाते हैं।
10. जिन्हें पुत्र की प्राप्ति की चाह हैं उन्हें पौष मास की पुत्रदा एकादशी का व्रत अवश्य ही करना चाहिए। इससे व्रतधारी को सुयोग्य संतान की प्राप्ति होती है।
एकादशी व्रत के लाभ-Ekadashi ke Labh
1. एकादशी व्रत रखने से दुर्भाग्य, दरिद्रता तथा अनेक प्रकार के कष्ट दूर होकर मोक्ष की प्राप्ति तथा सुख-संपत्ति, ऐश्वर्य, पुत्र-पौत्रादि से खुशहाल जीवन का वरदान प्राप्त होता है।
2. इस दिन श्री विष्णु-लक्ष्मी जी की आरती, मंत्र, सहस्त्रनाम स्तोत्र, कथा आदि का पूरे मन से पाठ करने से जीवन में शुभता आकर हर तरह से लाभ प्राप्त होता है।
3. एकादशी व्रत पूर्णरूपेन मनपूर्वक करने से मनुष्य तपस्वी, विद्वान, पुत्रवान और लक्ष्मीवान बनता है।
4. एकादशी व्रत संतान प्राप्ति, मोक्ष प्राप्ति, धन-वैभव पाने के लिए करना उत्तम माना जाता है।
5. एकादशी के दिन संतान की कामना से यदि व्रतधारी भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा करें, तो संतान लाभ अवश्य प्राप्त होता है।
6. यह व्रत इतना अधिक शक्तिशाली हैं कि एकादशी का उपवास पूर्ण मनोयोग से करने से नि:संतान दंपति को संतान सुख अवश्य ही मिलता है।
7. एकादशी व्रत संतान की प्राप्ति तथा उनके दीघार्यु जीवन, तरक्की, सफलता के लिए खास महत्व का माना गया है। संतान की कामना रखकर व्रत करने से शीघ्र संतान की प्राप्ति होती है।
8. सभी एकादशी व्रत की अपनी-अपनी विशेषता हैं तथा उक्त एकादशी का व्रत मनुष्य को कई यज्ञों के फल की प्राप्ति, तथा पुण्यफल देने में सक्षम मानी गई है।
9. यह व्रत 2 प्रकार से रखा जाता है निर्जला और फलाहारी या जलीय व्रत। यदि आप स्वस्थ और उपवास करने में सक्षम हैं तो निर्जला व्रत रखें अन्यथा फलाहारी व्रत रखकर विधिवत पूजा के बाद एकादशी के समापन के पश्चात पारण करें।
10. एकादशी पर दीपदान का बहुत महत्व है। इस व्रत के पुण्य से मनुष्य तपस्वी, विद्वान, पुत्रवान और लक्ष्मीवान होता है तथा सभी सुखों को भोगता है। एकादशी व्रत को पूर्ण भक्तिपूर्वक करने से मनुष्य की सभी कामनाओं की पूर्ति होती है।
7. श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
8. ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीवासुदेवाय नमः।
9. ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:
10. ॐ नारायणाय नम:।
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