Apara ekadashi 2024: अपरा एकादशी कब है, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व

WD Feature Desk
बुधवार, 22 मई 2024 (15:50 IST)
Highlights : 
 
अपरा एकादशी का महत्व जानें।  
अपरा एकादशी व्रत कब हैं 2024 में।  
अपरा एकादशी के मुहूर्त जानिए।  
 
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Apara Ekadashi Vrat: ब्रह्म पुराण में अपरा एकादशी का बहुत महत्व बताया गया है। और इस दिन मां भद्रा काली की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। इसे 'जलक्रीड़ा एकादशी' के रूप में जाना जाता है।  अपरा एकादशी व्रत का पालन करने से व्यक्ति के जीवन में खुशहाली आती हैं।  
 
आइए जानते हैं इस एकादशी का महत्व और समय के बारे में... 
 
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार वर्ष 2024 में अपरा एकादशी व्रत 02 और 03 जून को  रखा जाएगा।  जिसमें 02 जून को स्मार्त और 03 जून को वैष्णव धर्म को मानने वाले अपरा एकादशी का व्रत रखेंगे।  
 
अपरा एकादशी रविवार, 02 जून 2024  मुहूर्त : 
 
स्मार्त एकादशी तिथि का प्रारम्भ - 02 जून 2024 को सुबह 05 बजकर 04 बजे से।  
एकादशी तिथि का समापन- 03 जून 2024 को दोपहर 02 बजकर 41 बजे होगा।  
 
स्मार्त अपरा एकादशी पारण समय : 
वैष्णव अपरा एकादशी पारण का समय : 03 जून 2024 सोमवार को
पारण/ व्रत तोड़ने का समय - 03 जून को सुबह 08 बजकर 05 से 08 बजकर 10 मिनट तक।  
पारण के दिन हरि वासर समाप्त होने का समय - सुबह 08 बजकर 05 पर।  
 
अपरा एकादशी रविवार, 03 जून 2024  मुहूर्त : 
 
एकादशी तिथि का प्रारम्भ - 02 जून 2024 को सुबह 05 बजकर 04 बजे से।  
एकादशी तिथि का समापन- 03 जून 2024 को अपराह्न 02 बजकर 41 बजे तक।  
 
वैष्णव अपरा एकादशी पारण समय 2024 : 
 
वैष्णव एकादशी के लिए पारण या व्रत तोड़ने का समय- 04 जून को सुबह 05 बजकर 23 मिनट से 08 बजकर 10 मिनट तक।  इस दिन द्वादशी सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाएगी।

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जानें अपरा एकादशी का महत्व : धार्मिक ग्रंथों के अनुसार ज्येष्ठ माह में अपरा और निर्जला एकादशी पड़ती है। मान्यता है कि यह एकादशी मनुष्य को अपार खुशियों की प्राप्ति देने वाली मानी गई है और समस्त पापों से मुक्ति दिलाती है।  
 
हिन्दी में 'अपार' शब्द का अर्थ 'असीमित' होना कहा गया है, अतः इस व्रत को करने वाले को असीमित धन की प्राप्ति होती है, इसी कारण इसे 'अपरा एकादशी' कहा जाता है। दूसरे अर्थ में यह व्रतधारी को असीमित लाभ देने वाली भी होती है। 
 
कहा जाता हैं कि इस एकादशी व्रत के महत्व के बारे में स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने पांडु पुत्र राजा युधिष्ठिर को बताया था। तथा यह भी कहा कि इस एकादशी व्रत को रखने वाला व्यक्ति अपने पुण्य कर्मों के कारण बहुत प्रसिद्ध को प्राप्त करेगा। 
 
मान्यतानुसार ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी के नाम से जनमानस में जाना जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। इस एकादशी को लेकर यह माना जाता है कि इस व्रत को नियमपूर्वक करने से मनुष्य सभी पाप धुल जाते हैं। यह एकादशी शुभ फल देती है।

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