Kamada Ekadashi 2024: धार्मिक शास्त्रों के अनुसार चैत्र शुक्ल एकादशी को 'कामदा एकादशी' के नाम से जाना जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस वर्ष कामदा एकादशी व्रत 19 अप्रैल, दिन शुक्रवार को रखा जाएगा। इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु का पूजन किया जाता है। आइए यहां जानते हैं कामदा एकादशी व्रत का पारण समय और पूजा के बारे में
आइए जानते हैं एकादशी व्रत की तिथि के बारे में...
कामदा एकादशी के शुभ मुहूर्त एवं पारण टाइम 2024 :
शुक्रवार, 19 अप्रैल 2024 को कामदा एकादशी
चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ- 18 अप्रैल 2024 को 05.31 पी एम बजे से,
एकादशी तिथि की समाप्ति- 19 अप्रैल 2024 को 08.04 पी एम पर होगा।
दिन का चौघड़िया
चर- 05.51 ए एम से 07.28 ए एम
लाभ- 07.28 ए एम से 09.06 ए एम
अमृत- 09.06 ए एम से 10.43 ए एम
शुभ- 12.20 पी एम से 01.58 पी एम
चर- 05.12 पी एम से 06.49 पी एम
रात्रि का चौघड़िया
लाभ- 09.35 पी एम से 10.57 पी एम
शुभ- 12.20 ए एम से 20 अप्रैल 01.42 ए एम,
अमृत- 01.42 ए एम से 20 अप्रैल 03.05 ए एम,
चर- 03.05 ए एम से 20 अप्रैल 04.28 ए एम तक।
शुभ समय
ब्रह्म मुहूर्त- 04.23 ए एम से 05.07 ए एम
प्रातः सन्ध्या- 04.45 ए एम से 05.51 ए एम
अभिजित मुहूर्त- 11.54 ए एम से 12.46 पी एम
विजय मुहूर्त- 02.30 पी एम से 03.22 पी एम
गोधूलि मुहूर्त- 06.48 पी एम से 07.10 पी एम
सायाह्न सन्ध्या 06.49 पी एम से 07.55 पी एम
अमृत काल- 08.15 ए एम से 10.03 ए एम
निशिता मुहूर्त- 11.58 पी एम से 20 अप्रैल 12.42 ए एम
रवि योग- 05.51 ए एम से 10.57 ए एम तक।
कामदा एकादशी पारण समय 2024 :
पारण/ व्रत तोड़ने का समय- 20 अप्रैल, शनिवार को 05.50 ए एम से 08.26 ए एम तक।
पारण तिथि के दिन द्वादशी का समापन समय- 10.41 पी एम पर।
कामदा एकादशी पूजा के बारे में जानें :
- चैत्र शुक्ल एकादशी यानी कामदा एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करके श्री विष्णु का ध्यान करें।
- तत्पश्चात व्रत का संकल्प लें।
- घर के मंदिर में एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछा कर श्री विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें।
- एक लोटे में जल लेकर उसमें तिल, रोली और अक्षत मिलाकर अभिषेक करें।
- अब भगवान श्री विष्णु को फल, फूल, दूध, तिल, पंचामृत अर्पित करें।
- अब भगवान विष्णु को धूप, दीप दिखाकर उन्हें पुष्प अर्पित करें।
- शुद्ध घी का दीया जलाएं तथा विष्णु जी की आरती करें।
- फिर एकादशी कथा का पाठ करें अथवा श्रवण करें।
- शाम के समय पुन: भगवान विष्णु जी की पूजा करके फलाहार करें।
- श्री विष्णु का ध्यान-भजन करते हुए रात्रि जागरण तथा विष्णु जी की आराधना करें।
- श्री विष्णु के मंत्रों का ज्यादा से ज्यादा जाप करें।
- अगले दिन यानी द्वादशी तिथि को योग्य ब्राह्मण या किसी गरीब को भोजन कराएं।
- दान-दक्षिणा दें तथा गरीबों को गर्म कपड़े, तिल और अन्न का दान करें।
- तत्पश्चात स्वयं भी भोजन ग्रहण करके व्रत का पारण करें।
- विष्णु सहस्त्रनाम, चालीसा का पाठ करें।
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