Mohini Ekadashi: हिन्दू धर्मग्रंथों में मोहिनी एकादशी का व्रत विशेष माना गया है। ये कठिन सबसे व्रतों में से एक है। अत: इस व्रत में नियमों का विशेष पालन करना बहुत आवश्यक है। आइए जानते है...
वर्ष २०२४ में मोहिनी एकादशी व्रत 19 मई, दिन रविवार को रखा जाएगा। वैशाख शुक्ल एकादशी यानी मोहिनी एकादशी पर भगवान विष्णु की आराधना करने से जहां सुख-समृद्धि बढ़ती है वहीं शाश्वत शांति भी प्राप्त होती है। मान्यता के अनुसार यह एकादशी व्रत बहुत सावधानी का है। इस व्रत में चावल वर्जित माने गए हैं।
मोहिनी एकादशी व्रत का पूर्ण लाभ तभी मिलता है जब व्रतधारी निम्न बातों का पूरा ध्यान रखकर यह व्रत करता है। अत: ये कठिन व्रतों में से एक होने के कारण इस व्रत में नियमों का विशेष पालन करना चाहिए।
मान्यतानुसार मोहिनी एकादशी का व्रत बहुत ही पवित्र व्रत माना गया है। इस व्रत में विधि-विधान और अनुशासन का बहुत महत्व होने के कारण भगवान विष्णु अपने भक्तों के कष्टों को हर लेते हैं। तथा यह व्रत मोक्ष और पापों से मुक्ति दिलाने वाला माना जाता है। इसीलिए यह सबसे अधिक महत्वपूर्ण तथा कठिन व्रत है। भारत भर में इस व्रत को रखने की परंपरा है। खासकर महिलाएं इस व्रत को रखकर तथा तिथि के समापन होने और पारण तक भगवान विष्णु की आराधना में लीन रहकर व्रत को नियम पूर्वक करती हैं।
मोहिनी एकादशी व्रत से मोह आदि सब नष्ट हो जाते हैं। संसार में इस व्रत से श्रेष्ठ कोई व्रत नहीं है। इसके माहात्म्य को पढ़ने से अथवा सुनने से एक हजार गौदान का फल प्राप्त होता है। मोहिनी एकादशी के अवसर पर श्रद्धालुओं को सुबह से ही पूजा-पाठ, प्रातःकालीन आरती, सत्संग, एकादशी महात्म्य की कथा, प्रवचन सुनना चाहिए। इस एकादशी के धार्मिक महत्व के अनुसार संसार में आकर मनुष्य केवल प्रारब्ध का भोग ही नहीं भोगता अपितु वर्तमान को भक्ति और आराधना से जोड़कर सुखद भविष्य का निर्माण भी करता है। एकादशी व्रत का महात्म्य भी हमें इसी बात की ओर संकेत करता है।
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