पापमोचिनी एकादशी का धार्मिक महत्व क्या है? कैसे करें व्रत?

पापमोचिनी एकादशी का धार्मिक महत्व क्या है?  कैसे करें व्रत? 
 
एकादशी के दिन सुबह उठकर स्‍नान करने के बाद साफ वस्‍त्र धारण करके व्रत का संकल्‍प लें।

हिंदू मान्यताओं के अनुसार हर माह की शुक्ल और कृष्ण पक्ष की 11वीं तिथि को एकादशी व्रत मनाया जाता है और कई भक्त इस दिन पूरे विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करते हुए व्रत रखते हैं। वैसे तो पूरे वर्ष भर में 24 एकादशी व्रत होते हैं और हर व्रत का अपना अलग महत्व होता है। 
 
 पूरे साल भर में मनाए जाने वाले सभी एकादशी व्रत भगवान विष्णु की आराधना के लिए रखे जाते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पापमोचिनी एकादशी कहा जाता है। पापमोचिनी एकादशी होली और नवरात्रि के मध्य आती है और इस बार पापमोचिनी एकादशी 18 मार्च दिन शनिवार को आने वाली है।
 
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पापमोचिनी एकादशी को पापों का नाश करने वाली माना जाता है।पापमोचनी एकादशी का मूल अर्थ हुआ हर तरह के पाप से मुक्ति दिलाने वाली।

इस व्रत को करने से तन मन की शुद्धता प्राप्ति होती है। साथ ही व्रत के दौरान जो व्रती गलत कार्यों को नहीं करने का संकल्प लेता है, उसके सभी दुख भी दूर हो जाते हैं। इससे व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती होती है।

पापमोचनी एकादशी के बारे में भविष्योत्तर पुराण और हरिवासर पुराण में भी मिलता है। कहा जाता है कि कि जो व्यक्ति इस व्रत को रखता है उसे गाय दान करने जितने पुण्य मिलता है।सभी पापों से मुक्ति मिलती है। 

इस व्रत को करने से मनुष्य जहाँ विष्णु पद को प्राप्त करता है वहीं उसके समस्त कलुष समाप्त होकर निर्मल मन में श्री हरि का वास हो जाता है।
 
पापमोचिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के चतुर्भुज रूप की पूजा करने का विधान है। इस दिन भगवान विष्णु (भगवान विष्णु के मंत्र) को तुलसी दल अर्पित करने से कष्टों का निवारण होता है। भगवान विष्णु की असीम कृपा बरसती है और श्री हरि की पूजा से मां लक्ष्मी का भी आशीर्वाद मिलता है। 
 
पापमोचनी एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के मोक्ष का द्वार खुल जाता है।
 
पापमोचिनी एकादशी पर ऐसे करें पूजा
 
- एकादशी के दिन सुबह उठकर स्‍नान करने के बाद साफ वस्‍त्र धारण करके व्रत का संकल्‍प लें।
 
- घर के मंदिर में पूजा करने से पहले वेदी बनाकर 7 अनाज (उड़द, मूंग, गेहूं, चना, जौ, चावल और बाजरा) रखें।
 
- वेदी के ऊपर कलश की स्‍थापना करें और उसमें आम या अशोक के 5 पत्ते लगाएं।
 
- वेदी पर भगवान विष्‍णु की मूर्ति या तस्‍वीर स्थापित करें और भगवान को पीले फूल, ऋतुफल और तुलसी दल समर्पित करें।
 
- फिर धूप-दीप से विष्‍णु की आरती उतारें।
 
- शाम के समय भगवान विष्‍णु की आरती उतारने के बाद फलाहार ग्रहण करें।
 
- पापमोचिनी एकादशी व्रत करें तो रात में सोना नहीं चाहिए बल्‍कि भजन-कीर्तन करते हुए जागरण करें।
 
- अगले दिन भूखे गरीब को भोज कराएं और दान-दक्षिणा देकर विदा करें।
 
- इसके बाद खुद भी भोजन कर व्रत का पारण करें।

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