Dev Uthani Gyaras 2021 : 14 नवंबर 2021 को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देव उठनी ग्यारस है। इस दिन तुलसी जी का शालिग्राम जी के साथ विवाह किया जाता है। तुलसी विवाह का यह प्रचलन खासकर उत्तर भारत में ही प्रचलित है। हर समाज में विवाह की रस्म निभाना और तुसली माता की पूजा करने की विधि भिन्न भिन्न होती है।
तुलसी विवाह की सरल विधि ( Tulsi Vivah Puja Vidhi 2021 ) :
1. जिन घरों में तुलसी विवाह होता है वे स्नान आदि से निवृत्त होकर तैयार होते हैं।
2. तुलसी के पौधे को अच्छे से सजाते हैं और जिन्हें कन्यादान करना होता है वे व्रत रखते हैं।
3. इसके बाद आंगन में चौक सजाते हैं और चौकी स्थापित करते हैं। आंगन नहीं हो तो मंदिर या छत पर भी तुलसी विवाह करा सकते हैं।
4. इसके बाद साथ ही अष्टदल कमल बनाकर चौकी पर शालिग्राम को स्थापित करके उनका श्रृंगार करते हैं।
5. अष्टदल कमल के उपर कलश स्थापित करने के बाद कलश में जल भरें, कलश पर सातीया बनाएं, कलश पर आम के पांच पत्ते वृत्ताकार रखें, नारियल लपेटकर आम के पत्तों के ऊपर रख दें।
6. अब लाल या पीला वस्त्र पहनकर तुलसी के गमले को गेरू से सजाएं और इससे शालिग्राम की चौकी के दाएं ओर रख दें।
7. गमले और चौकी के आसपास रंगोली या मांडना बनाएं, घी का दीपक जलाएं।
8. इसके बाद गंगाजल में फूल डुबाकर ॐ तुलसाय नमः मंत्र का जाप करते हुए माता तुलसी और शालिग्राम पर गंगाजल का छिड़काव करें।
9. अब माता तुलसी को रोली और शालिग्राम को चंदन का तिलक लगाएं।
साथ ही प्रह्लाद, नारद, पाराशर, पुण्डरीक, व्यास, अम्बरीष,शुक, शौनक और भीष्मादि भक्तों का स्मरण करके चरणामृत, पंचामृत व प्रसाद वितरित करें। तत्पश्चात एक रथ में भगवान को विराजमान कर स्वयं उसे खींचें तथा नगर, ग्राम या गलियों में भ्रमण कराएं।
(शास्त्रानुसार जिस समय वामन भगवान तीन पद भूमि लेकर विदा हुए थे, उस समय दैत्यराज बलि ने वामनजी को रथ में विराजमान कर स्वयं उसे चलाया था। ऐसा करने से 'समुत्थिते ततो विष्णौ क्रियाः सर्वाः प्रवर्तयेत्' के अनुसार भगवान विष्णु योग निद्रा को त्याग कर सभी प्रकार की क्रिया करने में प्रवृत्त हो जाते हैं)। अंत में कथा श्रवण कर प्रसाद का वितरण करें।