4. भगवान के स्वरूप का स्मरण करते हुए सोना चाहिए।
5. सुबह स्नान करके संकल्प करना चाहिए और निर्जला व्रत रखना चाहिए।
6. दिन में भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।
7. पूजा में धूप, दीप एवं नाना प्रकार की सामग्रियों से विष्णु को प्रसन्न करना चाहिए।
8. कलुषित विचार को त्याग कर सात्विक भाव धारण करना चाहिए।
9. रात्रि के समय श्रीहरि के नाम से दीपदान करना चाहिए और आरती एवं भजन गाते हुए जागरण करना चाहिए।
10. भगवान कहते हैं कि जो व्यक्ति इस प्रकार उत्पन्ना एकादशी का व्रत करता है, उसे हजारों यज्ञों के बराबर पुण्य प्राप्त होता है। जो भिन्न-भिन्न धर्म-कर्म से पुण्य प्राप्त होता है, उन सबसे कई गुना अधिक पुण्य इस एकादशी का व्रत निष्ठापूर्वक करने से प्राप्त होता है।