उत्पन्ना एकादशी कब है, इस ग्यारस के 11 शुभ उपाय बदल देंगे किस्मत
20 नवंबर 2022, दिन रविवार को उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi) है। यह एकादशी मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की ग्यारस तिथि के दिन पड़ती है। है। यह एकादशी व्रत हजारों यज्ञों के बराबर पुण्य देने वाला माना गया है। इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु के इन सरल उपायों को करने मात्र से जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है तथा किस्मत बदल जाती है।
उत्पन्ना एकादशी के सरल उपाय Ekadashi ke Saral Upay
1. अगहन मास की ग्यारस तिथि के दिन उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है, एकादशी तिथि भगवान विष्णु को प्रिय होती है अत: सुयोग्य संतान प्राप्ति के योग बनते हैं।
2. अगर संभव हो या आपके पास गंगाजल हो तो पानी में गंगा जल डालकर ही नहाना चाहिए।
3. उत्पन्ना एकादशी के दिन पहले भगवान को भोग लगाएं, उसके बाद ही ब्राह्मणो को पीले फल, अन्न, धन आदि दान-दक्षिणा देने के पश्चात ही भोजन ग्रहण करें।
4. उत्पन्ना एकादशी के दिन व्रत रखने से मान्यता के अनुसार इस दिन श्री विष्णु और मां लक्ष्मी के पूजन से जीवन में सभी सुखों की प्राप्ति होती है।
5. इस दिन सात्विक भोजन करें, रात्रि में भगवान श्री विष्णु का भजन-कीर्तन अवश्य करें। इस व्रत से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। इसदिन मांस-मदिरा का सेवन नहीं करें।
6. इस दिन किसी के प्रति अपशब्दों का प्रयोग नहीं करें, क्रोध न करें, किसी का बुरा न सोचें और ना ही बुरा करें। सभी के प्रति आदर-सत्कार की भावना रखें।
7. वैतरणी एकादशी के दिन निरंतर 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करें तथा सायंकाल में तुलसी जी के सामने घी का दीया जलाकर उनकी आरती करें और 11 बार परिक्रमा करें।
8. उत्पन्ना एकादशी के दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए दक्षिणावर्ती शंख की पूजा अवश्य करें।
9. भोग लगाते समय श्री विष्णु को सिर्फ सात्विक चीजों का ही भोग लगाएं तथा प्रसाद अर्पित करते समय तुलसी को जरूर शामिल करें। माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु प्रसाद ग्रहण नहीं करते।
10. इस पूरे दिन निराहार रहकर सायंकाल कथा सुनने के पश्चात ही फलाहार करें। आपकी कोई विशेष इच्छा हो तो भगवान से उसे पूर्ण करने का निवेदन करें।
11. धर्मशास्त्रों में उत्पन्ना एकादशी का नाम वैतरणी एकादशी भी बताया गया है। अत: उत्पन्ना एकादशी माता की कथा पढ़ने से मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाता है और इस लोक में सभी सुखों को भोगकर स्वर्ग को प्राप्त होता है।