बैकुंठ एकादशी की 10 विशेषताएं, 10 लाभ और 10 विष्णु मंत्र
हिंदू पंचांग के अनुसार गुरुवार, 13 जनवरी 2022 को बैकुंठ एकादशी (Vaikuntha Ekadashi 2022) व्रत रखा जा रहा है। इस एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी, वैकुण्ठ एकादशी, पुत्रदा एकादशी आदि नामों से भी जाना जाता है। कहीं-कहीं इसे मुक्कोटी एकादशी भी कहते हैं। जानिए 10 विशेषताएं, लाभ और मंत्र
1. यह परम पवित्र एकादशी अंत समय में वैकुंठ दिलाने वाली तथा परिवार को हर कष्ट से मुक्ति दिलाने वाली मानी गई है।
2. बैकुंठ एकादशी का दिन पितरों को मुक्ति के लिए बहुत खास हैं, क्योंकि जिन पितरों को मोक्ष प्राप्त नहीं हुआ हैं, उनके लिए आज के दिन एक लोटे पानी में थोड़े-से काले तिल मिलाकर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पितृ तर्पण करने से पितरों को बैकुंठ मिलता है।
3. बैकुंठ एकादशी व्रत की कथा सुनने मात्र से व्रतधारी का यश संसार में फैलता है, ऐसी मान्यता है।
4. बैकुंठ एकादशी व्रत रखने वालों भक्तों पितरों के लिए भी मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं।
5. बैकुंठ एकादशी का व्रत करने से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट होकर यह मोक्ष तथा जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति दिलाती है।
6. यह एकादशी अनेक पापों को नष्ट करने वाली मानी गई है तथा इस व्रत से व्रतधारी के परिवार के लोगों को बैकुंठ प्राप्त होता है।
7. बैकुंठ एकादशी सब प्रकार के समस्त पापों का नाश करने वाली मानी जाती है। इस दिन भगवान श्री विष्णु का पूजन-विधान करने से उसको बैकुंठ की प्राप्ति अवश्य होती है।
8. बैकुंठ एकादशी की रात को सोना नहीं चाहिए। पूरी रात जागकर विष्णु जी की भक्ति करनी चाहिए। भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर के निकट बैठकर भजन करते हुए जागरण करनने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
9. पौष माह में पुत्र की प्राप्ति के लिए पुत्रदा एकादशी का व्रत करना चाहिए। इससे व्रतधारी को सुयोग्य संतान की प्राप्ति होती है।
10. बैकुंठ या पुत्रदा एकादशी दूसरे दिन ब्राह्मणों को भोजन तथा दान-दक्षिणा अवश्य देनी चाहिए, उसके बाद पारण करने से श्री विष्णु प्रसन्न होकर शुभाशीष देते हैं।
बैकुंठ या पुत्रदा एकादशी के 10 लाभ-Ekadashi ke Labh
1. इस दिन श्री विष्णु-लक्ष्मी जी की आरती, मंत्र, सहस्त्रनाम स्तोत्र, कथा आदि का पूरे मनोभाव से पाठ करने से जीवन में शुभता आकर हर तरह से लाभ प्राप्त होता है।
2. इस एकादशी व्रत रखने से दुर्भाग्य, दरिद्रता तथा अनेक प्रकार के कष्ट दूर होकर मोक्ष या बैकुंठ की प्राप्ति होती है।
3. बैकुंठ एकादशी व्रत पूर्णरूपेन मनपूर्वक करने से मनुष्य तपस्वी, विद्वान, पुत्रवान और लक्ष्मीवान बनता है।
4. पुत्रता एकादशी व्रत संतान प्राप्ति के लिए करना अतिउत्तम माना जाता है।
5. इस दिन संतान कामना के लिए व्रतधारी अगर भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा करें तो संतान लाभ अवश्य प्राप्त होता है।
6. पूर्णमनोयोग से नि:संतान दंपति इस व्रत को करें तो उन्हें संतान सुख अवश्य मिलता है।
7. यह व्रत संतान की प्राप्ति तथा उसके दीघार्यु जीवन के लिए खास महत्व का माना गया है।
8. पुत्रदा या बैकुंठ एकादशी का व्रत करने से वाजपेयी यज्ञ के समान पुण्यफल की प्राप्ति होती है।
9. यह व्रत दो प्रकार से रखा जाता है निर्जला और फलाहारी या जलीय व्रत। यदि आप स्वस्थ और उपवास करने में सक्षम हैं तो निर्जला व्रत रखें अन्यथा फलाहारी व्रत रखकर विधिवत पूजा के बाद समय पर इसका पारण करें।
10. भक्तिपूर्वक इस व्रत को करने से व्यक्ति की सभी कामनाओं की पूर्ति होती है। संतान की कामना रखने वाले व्यक्ति को इस व्रत को करने से शीघ्र संतान की प्राप्ति होती है।
• इस दिन दीपदान करने का बहुत महत्व है। इस व्रत के पुण्य से मनुष्य तपस्वी, विद्वान, पुत्रवान और लक्ष्मीवान होता है तथा सभी सुखों को भोगता है।
यहां पढ़ें 10 विष्णु मंत्र-Ekadashi Lord Vishnu Mantra
1. ॐ हूं विष्णवे नम:।
2. ॐ नारायणाय नम:।
3. ॐ विष्णवे नम:।
4. श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।