Ganesh Chaturthi 2025: घर में बप्पा की स्थापना करते समय अपनाएं ये 10 जरूरी नियम, मिलेगा सुख-समृद्धि का आशीर्वाद

WD Feature Desk

गुरुवार, 21 अगस्त 2025 (17:31 IST)
ganesh sthapana ke niyam: गणेश चतुर्थी भारत का सबसे लोकप्रिय और पावन त्यौहार है, जिसे हर साल बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन घरों, मंदिरों और पंडालों में विघ्नहर्ता गणपति का स्वागत किया जाता है। माना जाता है कि गणपति बप्पा केवल भक्तों की इच्छाओं को पूरा ही नहीं करते, बल्कि घर से सभी बाधाओं को भी दूर करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गणपति की स्थापना करते समय कुछ खास नियम और परंपराओं का पालन करना बेहद जरूरी होता है? क्योंकि गलत तरीके से की गई स्थापना न केवल पूजा के प्रभाव को कम कर सकती है, बल्कि कई बार यह नकारात्मक परिणाम भी दे सकती है। अगर आप इस बार अपने घर में गणेश स्थापना करने जा रहे हैं, तो आपको 10 महत्वपूर्ण नियमों के बारे में ज़रूर जानना चाहिए, जो आपकी श्रद्धा और भक्ति को और अधिक फलदायी बना देंगे।
 
1. सही मुहूर्त में करें गणपति स्थापना
गणेश चतुर्थी के दिन गणपति की स्थापना शुभ मुहूर्त में ही करनी चाहिए। शास्त्रों में ब्रह्म मुहूर्त और मध्यान्ह का समय गणपति स्थापना के लिए सबसे उत्तम माना गया है। ज्योतिषीय दृष्टि से मुहूर्त का ध्यान रखने से पूजा का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।
 
2. मूर्ति की दिशा और स्थान का रखें ध्यान
गणपति की मूर्ति हमेशा उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) दिशा में स्थापित करनी चाहिए। यह स्थान वास्तु शास्त्र में सबसे पवित्र माना गया है और यहां से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह सबसे अधिक होता है। इसके अलावा मूर्ति को ज़मीन पर सीधे न रखकर लकड़ी की चौकी या पीढ़े पर लाल या पीले कपड़े बिछाकर रखना चाहिए।
 
3. गणपति की मूर्ति की पीठ न दिखे
गणेश प्रतिमा को हमेशा इस तरह रखना चाहिए कि उनकी पीठ घर या कमरे की दीवार की ओर हो। मान्यता है कि गणपति की पीठ बाहर की ओर होने से घर की समृद्धि और सुख बाहर निकल सकते हैं। इसलिए मूर्ति को दीवार से सटाकर रखना शुभ माना जाता है।
 
4. मूर्ति का आकार और स्वरूप
गणपति की मूर्ति का आकार भी बेहद महत्वपूर्ण होता है। बहुत बड़ी प्रतिमा घर में स्थापित नहीं करनी चाहिए क्योंकि उसका विसर्जन मुश्किल हो सकता है। घर में 8 से 12 इंच की प्रतिमा सबसे उपयुक्त मानी जाती है। इसके अलावा गणपति की सूंड दाईं ओर की बजाय बाईं ओर होनी चाहिए क्योंकि इसे शुभ और सरल माना गया है।
 
5. गणपति मूर्ति की सामग्री का चुनाव
आजकल बाजार में प्लास्टर ऑफ पेरिस (POP) की मूर्तियां आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं, लेकिन ये पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती हैं। इसके बजाय मिट्टी (मिट्टी गणेश) या शुद्ध प्राकृतिक रंगों से बनी प्रतिमाएं चुनना सबसे अच्छा विकल्प है। यह न केवल पर्यावरण हित में है बल्कि शुद्धता और पवित्रता का भी प्रतीक है।
 
6. मूर्ति स्थापना से पहले शुद्धिकरण
गणपति स्थापना से पहले घर और पूजा स्थल की अच्छे से सफाई करनी चाहिए। इसके बाद गंगाजल या गोमूत्र का छिड़काव करके स्थान को शुद्ध करना चाहिए। मूर्ति को स्थापित करने से पहले लाल कपड़े, दूर्वा घास, पुष्प और अक्षत से सजाना शुभ माना जाता है।
 
7. गणपति के साथ रखें अन्य देवताओं की उपस्थिति
गणपति स्थापना के समय कलश की स्थापना ज़रूर करनी चाहिए क्योंकि यह ब्रह्मांड की ऊर्जा का प्रतीक है। इसके अलावा गणपति के साथ उनकी प्रिय वस्तुएं जैसे मोदक, लड्डू और दूर्वा अर्पित करना न भूलें। कुछ परिवार गणपति के साथ गौरी जी की भी स्थापना करते हैं, जिससे घर में सौभाग्य और समृद्धि आती है।
 
8. दीपक और धूप का महत्व
गणपति की पूजा में दीपक और धूप का विशेष महत्व है। स्थापना के दौरान घी का दीपक जलाना और धूप अर्पित करना अनिवार्य माना जाता है। दीपक से निकलने वाली रोशनी और धूप से फैलने वाली सुगंध घर के वातावरण को सकारात्मक बनाती है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है।
 
9. प्रतिदिन पूजा और आरती करना न भूलें
गणपति स्थापना के बाद प्रतिदिन पूजा करना बेहद ज़रूरी है। सुबह-शाम गणपति की आरती, मंत्र और भजन गाने से वातावरण में भक्ति और शांति बनी रहती है। आरती के समय परिवार के सभी सदस्यों की उपस्थिति शुभ मानी जाती है।
 
10. विसर्जन के समय नियमों का पालन
गणपति की स्थापना का समापन विसर्जन से होता है। विसर्जन करते समय परिवार के सभी सदस्यों को साथ रखना चाहिए और “गणपति बप्पा मोरया” के जयकारों के साथ प्रतिमा का विसर्जन करना चाहिए। आजकल लोग पर्यावरण बचाने के लिए घर पर ही बाल्टी या टब में मूर्ति का विसर्जन कर मिट्टी को पौधों में डालते हैं, यह तरीका भी बेहद शुभ और व्यावहारिक है।


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