-जनकसिंह झाला गुजरात विधानसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी को घेरने के लिए एक तरफ कांग्रेस, एनसीपी और भाजपा के बागी संयुक्त मुहिम चला रहे हैं। कांग्रेस की राहुल गाँधी को चुनाव मैदान में उतारने की योजना है। इस बीच मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी अपनी चुनावी रणनीति के तहत राज्य के लोगों को गोधरा दंगों के सही तथ्य को समझाने और उनको आकर्षित करने के लिए सभी युवा नेताओं को ललकारा है।
तहलका के स्टिंग ऑपरेशन के बाद मोदी गुजरात की जनता की आँखों की किरकिरी बने हुए हैं। पिछले दिनों एक समाचार चैनल ने एक साक्षात्कार में गोधरा कांड के प्रश्नों के जवाब देते समय नरेन्द्र मोदी की मनोदशा का लाइव फुटेज दुनिया भर के लोगों के सामने दिखाया। मोदी को न चाहते हुए भी उस साक्षात्कार को बीच में छोड़ना पड़ा।
स्टिंग ऑपरेशन के जरिये वो सभी बातें सामने आई हैं, जो परदे के पीछे थीं या फिर उसे पीछे रखा गया था। कहीं स्टिंग ऑपरेशन का असर उनकी पार्टी पर तो नहीं पड़ेगा यह बात नरेन्द्र मोदी के दिलो-दिमाग मे छाई हुई है।
चौबीसों घंटे गुजरात और उसके विकास के बारे में सोचने वाला (यह बात मोदी ने खुद एक समारोह में बताई थी) नरेन्द्र मोदी का दिमाग अब कुछ और भी सोच रहा है। किसी भी तरह गुजरात की जनता का प्रेम वापस लाया जाए। दुर्योधन (कांग्रेस द्वारा दिया गया मोदी को संबोधन) ने इस बात के मद्देनजर अब कर्ण बनने की ठान ली है। मोदी ने अपने कार्यकाल के दौरान विभिन्न समारोह और गुजरात की जनता के द्वारा दिए गए तमाम बेशकीमती उपहारों को राज्य सरकार के कोष में जमा करके उसने मिलने वाली रकम को कन्या विकास योजना में लगाने का ऐलान किया।
नवंबर 2001 से गुजरात का कार्यभार संभालने वाले मोदी को अपने कार्यकाल के दौरान करीब 5000 से ज्यादा स्मृति चिन्ह, कलाकृतियाँ, पदक-सम्मान के तौर पर मिले। इन सभी चीजों का मूल्य 15 लाख (राज्य सरकार के आकलन के अनुसार) से भी ज्यादा है।
मोदी ने पिछले दिनों एक समारोह में आग से अपने वाहन गँवाने वाले रत्न कलाकारों को भी परदे के पीछे रहकर खुश कर दिया है। हाल ही में सूरत की नागरिक अभिवादन समिति द्वारा आयोजित कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज करके मोदी ने बाइक गँवाने वाले सभी रत्न कलाकारों को नई बाइक प्रदान की।
कहा जाता है कि लोक फंड से इसकी राशि इकट्ठा की गई, लेकिन इतने कम समय में 39 बाइक की राशि कैसे जुट सकती हैं। इसमें भी शायद मुख्यमंत्री ने परदे के पीछे रहकर कर्ण की भूमिका निभाई है। वैसे भी चुनाव के समय सभी नेता किसी न किसी प्रलोभन के जरिए अपने मतदाताओं को लुभाते रहते हैं। कोई रुपए बटोरता है तो कोई महिलाओं के लिए साड़ी, कोई माँस-मदिरा बाँटता है। तो कोई बड़े फिल्म स्टार को बुलाकर अपने वो बढ़ाने की जुगत लगाता है।
हमारे नरेन्द्र मोदी भी ऐसे ही तरीके अपनाकर कांग्रेस के द्वारा दी गई दुर्योधन की पदवी को शायद कर्ण में तब्दील करना चाहते हैं। वैसे भी उन्होंने गुजरात के केबल ऑपरेटरों पर दबाव डालकर अपनी प्रशंसा भरे कार्यक्रमों को प्रसारित करने को कहा है।