मानव समुदाय का जानना और समझना बहुत आवश्यक है कि हमारे आसपास के जिस परिवेश और पर्यावरण में हम रहते हैं, उसमें उपस्थित नदियों,पर्वतों,घाटियों, पठारों, छोटी-छोटी वनस्पतियों, विशाल पेड़ों और समस्त जीव जंतुओं का हमारी धरती पर विशिष्ट महत्व है। धरती के सभी जैविक या अजैविकर संसाधन बहुमूल्य है। ये सीमित हैं और इन्हें मानव तैयार नहीं कर सकता। जल, जंगल, हवा हो या कोई जीव-जंतु, यदि एक भी संसाधन खत्म हो गया तो प्रकृति का पूरा चक्र गड़बड़ा जाएगा। जल संकट को ही लें तो पूरी दुनिया में कहा जाता है कि तीसरा विश्वयुद्ध संभवतया पानी के लिए ही होगा। दुनियाभर में मौजूद जलस्रोतों पर गहरा संकट मंडरा रहा है। ग्लोबल वार्मिंग से ग्लेशियर सिकुड़ रहे हैं और हमेशा बहने वाली नदियों के इकोलाजिकल तंत्र प्रभावित हुए हैं। विश्लेषक मानते हैं कि धरती पर निकट भविष्य में जल संकट की भयंकर तस्वीर सामने आने वाली है। पर बड़ा प्रश्न यह है कि हम अपने रोज के जीवन व्यवहार में पानी बचाने के लिए कितने सजग रहते हैं। क्या हमने जलसंरक्षण को अपने जीवन का हिस्सा बनाया है।