देश में निजी एयर सेवाओं में आए दिन तकनीकी खराबी के मामले सामने आ रहे हैं। कई बार ये तकनीकी खराबी हादसों में बदल रही है। गत वर्ष दिसंबर में भारत के सीडीएस जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी की हवाई हादसे में मौत हो गई थी। इस हादसे में 14 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। बावजूद इसके देश में निजी विमानों के हवाई सफर में तकनीकी खराबी की वजह से खतरा बढ़ता जा रहा है।
एक दिन में 3 गड़बड़ी, 18 दिन में 8 विमानों में घटनाएं
स्पाइसजेट की ही बात करें तो 6 जुलाई को ही एक ही दिन में 3 विमानों में कुछ न कुछ तकनीकी खराबी सामने आ चुकी है। पिछले 18 दिनों में स्पाइसजेट के 8 विमानों में तकनीकी गड़बड़ी हुई। इसी तरह दो दिन पहले ही यानी 5 जुलाई को रायपुर-इंदौर इंडिगो उड़ान (A320Neo विमान) के दौरान केबिन क्रू ने केबिन से फॉग निकलने की सूचना दी। इन लापरवाहियों के बाद विमानों की आपात लैंडिंग कराई गई।
स्पाइसजेट की ये खामियां भी आईं सामने
डीजीसीए Directorate General of Civil Aviation ने स्पाइसजेट की कई और कमियों की ओर भी ध्यान दिलाया है। डीजीसीए ने खराब आंतरिक सुरक्षा के अलावा समय पर स्टाफ को पैसा नहीं देने का मुद्दा भी उठाया है। इसके अलावा स्पाइसजेट के फ्लीट में स्पेयर पार्ट्स की कमियों की भी बात कही। हाल ही में स्पाइसजेट की कोलकाता से चीन जा रहे एक कार्गो विमान में वेदर रडार ने ही काम करना बंद कर दिया था। इसी तरह कांडला-मुंबई फ्लाइट में विंडशील्ड क्रैक हो गया और दुबई जा रहे विमान में ईंधन का इंडीकेटर में तकनीकी खराबी आ गई, जिसके कारण कराची में आपात लैंडिंग करानी पड़ी।
DGCA ने मांगा जवाब
इन खामियों और आपात लैंडिंग पर सरकार और डीजीसीए सख्त हैं। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने स्पाइसजेट की तकनीकी गड़बड़ियों पर जवाब मांगा। विमान अथॉरिटी का जो जवाब मिला वो चौंकाने वाला था। विमान अथॉरिटी का चौंकाने वाला जवाब
स्पाइसजेट के एमडी अजय कुमार ने कहा कि इस तरह के छोटे-छोटे हादसे होते रहते हैं। एक दो छोटे हादसे को मीडिया में उछालना सही बात नहीं है। उन्होंने कहा है कि 15 साल से स्पाइसजेट सुरक्षित विमान संचालित कर रहा है। जिस तरह के हादसों की बात हो रही है, वो रोज छोटे-छोटे प्रतिदिन एयरलाइंस में होते हैं। लेकिन आजकल इन्हें मीडिया में उछाल दिया जाता है। ये सही नहीं है। उन्होंने कहा, जहां तक कारण बताओ नोटिस का सवाल है तो डीजीसीए का यह कर्तव्य बनता है कि वो हमसे सवाल करे और हमारा कर्तव्य है कि हम उसका जवाब दें। इन घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ट्वीट कर कहा कि यात्रियों की सुरक्षा सबसे पहले है। सुरक्षा मानकों के संबंधित अगर छोटी सी भी गड़बड़ी होती है तो इसकी पूरी तरह से जांच की जाएगी और समय रहते इसमें सुधार किया जाएगा।
हमारे सुरक्षा मानक वर्ल्ड क्लास, लेकिन हम लापरवाह भी
जहां तक भारत में विमानों की सुरक्षा और मेंटेनेंस की बात है तो हम EASA यानी European Union Aviation Safety Agency और FAA यानी Federal Aviation Administration के रेग्यूलेशन फॉलो करते हैं। इसका मतलब यह हुआ कि भारत का एविएशन विंग विमानों की सुरक्षा और उनके मेंटेनेंस को लेकर दुनिया में सबसे अव्वल है। लेकिन एविएशन के विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में एविएशन को कंट्रोल करने वाला डीजीसीए Directorate General of Civil Aviation की तरफ से जो विशेषज्ञ होते हैं, वो तकनीकी तौर पर इतने दक्ष या सक्षम नहीं होते हैं, जिसकी वजह से विमानों की उड़ान को लेकर कई बार खामियां छूट जाती हैं। दरअसल, EASA और FAA की तरफ से विमानों और हवाई सफर की सुरक्षा को लेकर सर्कुलर जारी होते हैं। जिनमें कुछ अनिवार्य नियम होते हैं, जिन्हें गंभीरता से लिया जाना चाहिए। लेकिन कई बार इनमें लापरवाही बरती जाती है, जिसका नतीजा तकनीकी खामी या फिर विमान हादसों के रूप में सामने आता है।
क्या कहते हैं नागरिक उड्डयन मंत्री सिंधिया?
विमानों में आ रही तकनीकी खराबियों के बारें में प्रतिक्रिया लेने के लिए वेबदुनिया ने नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से चर्चा करना चाही। संपर्क करने पर मंत्री सिंधिया के पीए पुरषोत्तम पाराशर ने बताया कि वे पहले ही इस बारे में ट्वीट कर जानकारी दे चुके हैं। इस मामले को लेकर उनकी तरफ से ट्वीट किए जा चुके हैं। व्यस्तता के चलते अभी चर्चा संभव नहीं है।
नहीं होता सर्कुलर नियमों का पालन
सिविल एविएशन के मैंटेनेंस के मामले में हम यूएस और यूरोपियन के हाई स्टैंडर्ड नियम फॉलो करते हैं। यह बहुत अच्छी बात है, लेकिन मेरा निजी मानना है कि कई बार ऐसा होता है कि कंट्रोलिंग अथॉरिटी यानी डीजीसीए की तरफ से जो कंट्रोल करने वाले लोग आते हैं, वे तकनीकी चीजों को मैनेज नहीं कर पाते हैं, जिससे खामियां रह जाती हैं। सुरक्षा के लिए जरूरी है कि विमानों के लिए जो सर्कुलर आते हैं जैसे विमान उड़ने लायक है या नहीं इन आवश्यक शर्तों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।- मिलिंद महाजन,सेक्रेटरी, मध्य प्रदेश फ्लाइंग क्लब
पायलट की चूक कैसी-कैसी!
एयरलाइंस की उड़ान के समय अब तक पायलट की कई तरह की गलतियां सामने आई हैं। जिससे हादसे होते हैं।
नियमों का ठीक से पालन नहीं करना।
परिस्थिति ठीक नहीं होने पर विमान उड़ाना।
पहाड़ों के आसपास नियंत्रण खो देना।
लैंडिंग के समय स्पीड पर कंट्रोल नहीं होना।
रन-वे से फिसल जाना।
ईंधन की उपलब्धता की जानकारी नहीं होना।
दिशा के बारे में पता नहीं लगा पाना।
गलत रन वे पर लैंड करना।
विमान के इंजन में या किसी उपकरण में तकनीकी खराबी भी हादसे का कारण हो सकता है।
क्या है स्पाइसजेट की स्थिति?
स्पाइसजेट में पायलट और इंजीनियरों को मिलाकर 16 हजार कर्मचारी हैं।
स्पाइसजेट के पास 96 विमानों का बेडा है।
देश में स्पाइसजेट का डोमेस्टिक पैसेंजर लोड सबसे ज्यादा है।
समय की पाबंदी को लेकर एयर एशिया और विस्तारा के बाद स्पाइसजेट तीसरे नंबर पर है।
विमानों की आपात लैंडिंग
स्पाइसजेट में 6 जुलाई को 3 विमानों में गड़बड़ी हुई।
18 दिन में स्पाइसजेट के 8 विमानों में तकनीकी खामियों से आपात लैंडिंग हुई।
5 जुलाई को रायपुर-इंदौर इंडिगो उड़ान के दौरान केबिन से धुंआ निकलने की सूचना आई।
इन सभी लापरवाहियों के बाद विमानों की आपात लैंडिंग कराई गई।
भारत में सेवाएं देने वाली एयरलाइंस
भारत में प्रमुख रूप से जो विमान सेवाएं संचालित हो रही हैं, उनमें एयर इंडिया, इंडिगो एयरलाइंस, स्पाइसजेट, विस्तारा एयरवेज, गो-एयर और एयर एशिया शामिल हैं। इसके अलावा कुछ छोटी रीजनल एयरलाइंस भी हैं जो सीमित सेवाएं देती हैं। भारत में किस एयरलाइन की कितनी ताकत
इंडिगो के बेड़े में 274 विमान हैं और 23,750 कर्मचारी काम करते हैं।
एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस के बेड़े में 11+24 विमान हैं, जबकि करीब 15,000 कर्मचारी काम करते हैं।
स्पाइसजेट के बेड़े में 96 विमान हैं और करीब 16,000 कर्मचारी काम करते हैं।
विस्तारा के बेड़े में 48 विमान हैं और यहां 4,000 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं।
गो एयर के बेड़े में 66 विमान और करीब 3,370 कर्मचारी कार्यरत हैं।
एयर एशिया इंडिया के बेड़े में 28 विमान और 3,000 कर्मचारी काम कर रहे हैं।
जब इंडिगो के स्टाफ ने ले ली सिक लीव
इसी साल जुलाई के पहले हफ्ते में देश की सबसे बड़ी एयरलाइन कंपनी इंडिगो (IndiGo) की करीब 900 फ्लाइट्स बुरी तरह से प्रभावित हुई थीं। यहां तक कि इंडिगो की कई फ्लाइट रद्द हो गई। कई फ्लाइट उड़ान नहीं भर सकीं। इसके पीछे बेहद दिलचस्प वजह थी। दरअसल, बड़ी संख्या में इंडिगो का स्टाफ एयर इंडिया (Air India) की भर्ती में आवेदन के लिए चला गया था। इसके लिए कई कर्मचारियों ने एक साथ सिक लीव यानी बीमारी का बहाना बनाकर छुट्टी ले ली थी। बाद में पता चला कि इंडिगो का ज्यादातर स्टाफ एयर इंडिया में नौकरी के लिए इंटरव्यू या आवेदन के लिए गया था। बता दें कि कुछ ही समय पहले टाटा ग्रुप ने एयर इंडिया को टेकओवर किया है
फ्लाइट लैंडिंग के समय क्या होती है एयरपोर्ट के ग्राउंड स्टाफ की भूमिका
दरअसल, हर एयरपोर्ट पर ग्राउंड स्टाफ की जिम्मेदारी को दो हिस्सों में बांटा गया है। व्यावसायिक भूमिका:
यात्रियों के साथ डायरेक्ट इंटरेक्शन और उनकी किसी भी समस्या को हल करना एक ग्राउंड स्टाफ की ड्यूटी होती है।
विमान के यात्रियों की सुरक्षा और उनके आराम का ध्यान रखना।
यात्रियों को लगातार उड़ान की सूचना देते रहना।
विमान में पहले से यात्रियों के खाने-पीने की चीज़ों का स्टॉक रखना। पुराने स्टॉक को नए स्टॉक से बदलने का
काम भी ग्राउंड स्टाफ का ही होता है।
ऐसी हाई लेवल के कस्टमर सर्विस प्रोवाइड करना ताकि लोग उसी एयरलाइन्स में फिर से ट्रेवल करे।
यात्रियों को विमान में चढ़ाने और उतरने की पूरी ड्यूटी भी ग्राउंड स्टाफ की होती है।
ग्राउंड स्टाफ की जिम्मेदारी होती है कि वे यात्रियों की सीढ़ी को सही तरीके से लगाएं और हटाएं। उन यात्रियों को मदद करना जो व्हीलचेयर पर होते हैं।
विमान में ईंधन भरने की ज़िम्मेदारी भी ग्राउंड स्टाफ की होती है और अगर विमान के सतह पर बर्फ या स्नो जमी हो तो उसे भी हटाना होता है। ग्राउंड स्टाफ पैसेंजर के चेक-इन काउंटर, अराईवल और डिपार्चर गेट पर भी एक्टिव होते हैं।
ग्राउंड स्टाफ इस बात का ध्यान रखते हैं की रैम्प पर या आसपास कोई कचरा न पड़ा हो और यात्रियों को कोई ऐसा अनुभव न करना पड़े जो उन्हें पसंद ना आए।
एयरपोर्ट ग्राउंड स्टाफ का काम होता है यात्रियों को विमान के देरी होने के कारण के बारें में बताना और कोई भी जानकारी जो उन्हें बोर्डिंग के दौरान चाहिए।
तकनीकी भूमिका :
जब विमान के लैंडिंग का वक़्त हो तब स्टाफ से कोआर्डिनेट करना।
जब उड़ान का वक़्त हो तब पायलट को जरूरी दस्तावेज सौंपना।
मौसम के स्थिति चेक करना, ईंधन चेक करना और किसी जरूरी सूचना का धयान रखने का काम भी ग्राउंड स्टाफ का होता है।
एयरपोर्ट ग्राउंड स्टाफ का टेक-ऑफ स्लॉट्स मैनेजमेंट का काम होता है और वो एयर ट्रैफिक भी कंट्रोल करते हैं। इसमें उन्हें फ्लाइट्स की मैनेजमेंट देखनी होती है जो हवा में हैं या लैंड होने वाली हैं।
टिकटिंग, बैगेज क्लेम्स, पैसेंजर हैंडलिंग, कार्गो लोडिंग, कार्गो अनलोडिंग, सिक्यूरिटी प्रोसेसेस और इंटर डिपार्टमेंट को-आर्डिनेशन ये सारे काम एयरपोर्ट स्टाफ सदस्य निभाता है।