कैसे मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर की आबोहवा में जहर घोल रहा प्रदूषण
पैदा होते ही प्रदूषण की वजह से कितनी बीमारियां घेर लेती हैं नवजात बच्चों को
वायू प्रदूषण की वजह से दुनियाभर के बच्चों में बढ रहे ऑटिज्म और अस्थमा के केस
सफाई में कई बार नंबर वन बन चुका मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी कहा जाने वाला इंदौर वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण में भी नंबर वन से कम नहीं है। बढ़ते वाहनों की संख्या से कानफोड़ू ध्वनि प्रदूषण हो रहा है तो वहीं, शहर की आबोहवा में भी लगातार जहर घुलता जा रहा है। पिछले दिनों एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 151 तक पहुंच गया, जिसे वायु की गुणवत्ता में सुधार के लिए 50 से नीचे लाना जरूरी है।
यातायात का शोर, वाहनों- फैक्ट्रियों का धुआं, मोबाइल टॉवर का रेडिएशन और इन सबकी वजह से हवा में घुलता जहर। ये जहर न सिर्फ जिंदा इंसानों के लिए खतरा बन गया है, बल्कि मां के कोख में पल रहे और दुनिया में आने का इंतजार कर रहे मासूस बच्चों की जान के लिए भी बेहद खतरनाक साबित हो रहा है।
अब तक पसर चुके इस जहर का नतीजा यह है कि मां समेत नवजात बच्चों में अस्थमा से लेकर ऑटिज्म, लो बर्थ वेट, बच्चे की साइज, उसका डवलेपमेंट, प्री-मेच्यौर डिलिवरी और यहां तक कि मिसकरैज तक के परिणाम सामने आ रहे हैं। स्टडी तो कहती है कि जहरीली हवा से बच्चों में ऑटिज्म होने का खतरा 78 प्रतिशत बढ़ गया है।
प्रदूषण की वजह से पसर रहे इस खतरे, इसके कारण और इससे बचाव को लेकर वेबदुनिया ने इंदौर के डॉक्टरों, प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के वैज्ञानिकों और पर्यावरणविद से चर्चा की।
आइए पहले जानते हैं कैसे अलग अलग तरह का प्रदूषण मां की कोख में जन्म का इंतजार कर रहे बच्चों के लिए खतरा बन रहा है, दुनिया में इसकी क्या स्थिति है और क्या कहती है इसकी रिपोर्ट।
ऑटिज्म : हॉवर्ड की स्टडी के अनुसार गर्भावस्था के तीसरे महीने में ज्यादा प्रदूषित हवा में सांस लेने की वजह से बच्चे में ऑटिज्म का दोगुना खतरा बढ़ जाता है।
अस्थमा : डॉक्टरों के मुताबिक प्रेग्नेंसी में अस्थमा की वजह हाई ब्लड प्रेशर हो सकता है और लिवर और किडनी में कई तरह की दिक्कत हो सकती है। ये प्री-मैच्योर बर्थ और लो बर्थ वेट का भी कारण बन सकता है।
मिसकैरेज और फर्टिलिटी : लंबे वक्त तक वायू प्रदूषण के संपर्क में रहने से माताओं में मिसकैरेज यानी बच्चा गिर जाने का खतरा भी है। इसके साथ ही प्रदूषण की वजह से महिलाओं और पुरुषों दोनों में फर्टिलिटी भी कम हो रही है।
पैदा होने से पहले ही मर जाते हैं 10 लाख बच्चे
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया में हर साल 10 लाख बच्चों की मौत पैदा होने से पहले ही हो जाती है। ऐसे बच्चे कमजोर होते हैं और इनका वजन भी कम होता है, इसलिए इनमें कई बीमारियों का खतरा बना रहता है। वायु प्रदूषण बच्चों के लिए जानलेवा खतरा बन चुका है।
क्या कहती है कैलिफोर्निया की रिसर्च?
कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी की एक स्टडी में कहा गया कि वायू प्रदूषण गर्भवती माताओं और उनके होने वाले बच्चों के लिए बेहद खतरनाक रूप अख्तियार कर चुका है। रिसर्च के मुताबिक साल 2019 में समय से पहले जन्मे 60 लाख बच्चे वायू प्रदूषण से प्रभावित हुए थे। इस शोध में 204 देशों के आंकड़ों को शामिल किया गया था।
प्रदूषण में भारत का ग्राफ
रिपोर्ट कहती है कि दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों की रैंकिंग में भारतीय शहरों की संख्या बढ़ी है। जहरीली हो रही हवा से हर साल लाखों लोगों की मौत हो रही है। दूसरे शहरों की तुलना में उत्तर भारत में प्रदूषण का ग्राफ 10 गुना ज्यादा खतरनाक हो गया है। एक रिपोर्ट कहती है कि भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में वायू प्रदूषण से प्रति वर्ष 3.49 लाख महिलाएं गर्भपात का शिकार हो रही हैं।
क्या कहते हैं डॉक्टर्स? साल में 12 मामले सिर्फ मेरे पास आ रहे
प्रदूषण ने मां और बच्चे दोनों के लिए खतरा बढ़ा दिया है। अस्थमा से लेकर ऑटिज्म, लो बर्थ वेट, बच्चे की साइज और प्री-मैच्योर डिलिवरी का खतरा बढ़ रहा है। मां का स्वास्थ्य भी खराब हो सकता है और बच्चे की ओवरऑल ग्रोथ को भी नुकसान है। इस मामले में पहले केस मेरे पास केस नहीं आते थे, लेकिन अब साल में 10 से 12 बच्चों के केस आ रहे हैं। डॉ जया छाबड़ा, गायनोकॉलाजिस्ट, इंदौर
पॉल्यूशन बना गंभीर खतरा
सभी तरह के प्रदूषण बच्चों के विकास को प्रभावित कर सकते हैं। खासतौर से गर्भ में पल रहे बच्चों को नॉइज पॉल्यूशन से इरीटेशन हो सकती है, वो चिड़चिड़ा हो सकता है। एयर पॉल्यूशन से ऑक्सीजन की तकलीफ और अस्थमा जैसी बीमारियों का खतरा है। मांओं को चाहिए कि वे जितना हो सके सभी तरह के पॉल्यूशन से बचें। अच्छे और खुशनुमा माहौल में रहें। गुस्सा न करें, संयमित दिनचर्या अपनाएं। खुश रहें और अपनी पूरी लाइफस्टाइल से लेकर डाइट आदि पर पूरा ध्यान दें। डॉ उषा श्रीवास्तव, गायनोकालॉजिस्ट, मदर केयर हॉस्पिटल, इंदौर
क्या करें गर्भवती माताएं? गायनिक डॉ जया छाबड़ा बताती हैं कि खुद और अपने बच्चे को प्रदूषण के इस खतरे से बचाने के लिए हाइजिन रहना होगा। साफ पानी, ताजा भोजन वायू प्रदूषण से लेकर ध्वनि प्रदूषण से बचना होगा। ट्रैफिक में न जाएं, धुएं से बचें। माताएं मास्क लगाएं। हार्मफूल हेयर स्टायलिंग न कराएं, पेंट की हुई जगहों पर न जाएं। सिगरेट न पिएं।
केमिकल से बचाव के लिए ज्यादा से ज्यादा ऑर्गेनिक फूड, फल और सब्जियां खाएं। गाय-भैंस में दूध को बढ़ाने के लिए कई तरह के इंजेक्शन दिए जाते हैं, जिसको पीने से गर्भवती में हार्मोनल दिक्कतें हो सकती हैं। इससे ओवेरियन सिस्ट की भी दिक्कत हो सकती है। ऐसे में ऑर्गेनिक मिल्क या रागी मिल्क पी सकते हैं, इनमें अच्छा कैल्शियम और प्रोटीन होता है।
क्या कहते हैं वैज्ञानिक?
AQI का वार्षिक स्तर 100 से कम होने पर इसे संतोषजनक माना जाता है, हालांकि कई बार प्रदूषण बढ़ जाता है, यह मौसम की वजह से होता है, ज्यादा गर्मी, हवा नहीं चलने की स्थिति और ज्यादा ठंड में प्रदूषण बढ़ जाता है। डॉ डीके वाघेला, पर्यावरणविद व पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड मध्यप्रदेश
कैसे प्रदूषण हमारे लिए है खतरा?
दरअसल, हवा में प्रदूषण के लिए पीएम 2.5 जिम्मेदार है, जो प्रेग्नेंसी के समय बहुत खराब असर डालते हैं। पीएम 2.5 बेहद बारीक या महीन कण होते हैं, जो बाल से भी पतले होते हैं, जिसे इंसान नंगी आंखों से देख नहीं सकता। वायू प्रदूषण के लिए ट्रैफिक, पावर प्लांट्स और मोबाइल टावर का रैडिएशन ही ही नहीं कई तरह का धुआं और गैस और इनडोर पॉल्यूशन भी जिम्मेदार है।
क्या है इंदौर में प्रदूषण की स्थिति?
प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड से मिली जानकारी के मुताबिक इंडस्ट्री, चौराहे, चाट-चौपाटी जैसे स्थानों पर प्रदूषण का AQI (एयर क्वालिटी इंडेक्स) का स्तर 151 पर है। बोर्ड का लक्ष्य है कि इसे 50 पर लाया जा सके। हालांकि जिस तरह से इंदौर में वाहनों की संख्या बढ़ रही है, ऐसा लगता नहीं कि इस पर कंट्रोल किया जा सकेगा।
इन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा वायू प्रदूषण
इंदौर शहर में गंगवाल बस स्टैंड, चोइथराम सब्जी मंडी, पोलोग्राउंड, पलासिया चौराहा, इमली बाजार, जवाहर मार्ग, सांवेर रोड, भंवरकुआं, कोठारी मार्केट, रेलवे स्टेशन, छप्पन दुकान, राजबाड़ा, विजय नगर, पीपल्याहाना कुछ ऐसे हॉट स्पाट हैं, जहां वायु प्रदूषण सबसे ज्यादा है। इन इलाकों में एयर क्वालिटी की जांच के लिए मशीनें या उपकरण नहीं हैं। ये वे क्षेत्र हैं, जहां या तो भारी यातायात का दबाव है या कोई औद्योगिक क्षेत्र है। इन क्षेत्रों में निगम का जोर धूल के कण साफ करने पर है।
इंदौरी क्षेत्र जो बन गए पॉल्यूशन के हॉट स्पॉट
चाट-चौपाटी जैसे 56 दूकान, आनंद बाजार, मेघदूत गार्डन, विजयनगर, सराफा बाजार, रिगल चौराहा, भंवरकुआं चौराहा, धार रोड, लसूडिया चौराहा। इंडस्ट्रीज
पीथमपुर, सांवेर रोड, पोलोग्राउंड, लक्ष्मीबाई नगर, देवास नाका, पालदा कंस्ट्रक्शन साइट
बंगाली चौराहा, पल्याहाना, निपानिया जहां ट्रैफिक ओवरलोड
महू नाका, जवाहर मार्ग, कोठारी मार्केट, भंवरकुआं, इमली बाजार, पाटनीपुरा, मालवा मिल, बंगाली चौराहा, एमजी रोड, पलासिया आदि।
क्या कर रहा है पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड
सफाई के बाद अब वायु की गुणवत्ता सुधारने पर जोर।
वायु की गुणवत्ता सुधारने के लिए स्तर 50 से नीचे लाने की कोशिश।
शहर में सिर्फ डीआईजी ऑफिस में ही ऑनलाइन एयर मॉनिटरिंग सिस्टम लगे हैं।
3 स्थानों पर मैन्युअल मशीनें लगी हैं।
3 नए क्षेत्र मोती तबेला, बिचौली हप्सी और मूसाखेड़ी में ऑनलाइन मॉनिटरिंग सिस्टम लगाने की योजना है।
इस योजना पर 3 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च होने का अनुमान।
विजय नगर, रिजनल पार्क और पोलोग्राउंड में भी मॉनिटरिंग सिस्टम, लेकिन यहां से अभी डेटा नहीं मिल रहा।
चोइथराम, रीगल स्क्ेवेयर और एयरपोर्ट पर पॉल्यूशन डिस्प्ले बोर्ड लगे हैं।
कोठारी मार्केट, विजयनगर, सांवेर रोड से मैन्युअल डेटा मिलता है।