किसी ने जूता फेंका तो वो सीधा गिरेगा या उल्टा। सड़क पर दो सांड की लड़ाई में कौनसा सांड जीतेगा और कौन हारेगा। बारिश होगी तो कितनी और कैसी होगी। क्रिकेट में किसकी होगी जीत, किसकी हार और देशभर के विधानसभा से लेकर लोकसभा के चुनाव तक बल्कि यहां तक कि अमेरिका के चुनाव में हार-जीत को लेकर अगर कहीं सट्टा लगता है तो उस जगह का नाम है फलौदी (Phalodi) हालांकि यह फलौदी राजस्थान का एक छोटा-सा जिला है, लेकिन यहां चलने वाले सट्टा बाजार (Satta Bazar) का नेटवर्क पूरे हिंदुस्तान में बताया जाता है। है और इसका कारोबार करोडों में है।
लल्लनटॉप के एक वीडियो में की गई चर्चा के मुताबिक राजस्थान के फलौदी में पिछले 500 साल से सट्टा लगाया या खेला जाता है। हाल ही में राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ समेत पांच राज्यों में हुए चुनावों की हार-जीत को लेकर भी फलौदी के सट्टा बाजार की बड़ी चर्चा है। जानते हैं आखिर क्या है फलौदी का सट्टा बाजार और ये कैसे काम करता है।
मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ चुनावों पर क्या है फलौदी सटोरियों का दावा
अभी जिस वजह से फलौदी के सटोरिये सबसे ज्यादा चर्चा में हैं, वो है पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव। फलौदी के सटोरियों ने मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ चुनावों के परिणामों के बारे में दावे किए हैं। फलौदी के दावों के मुताबिक मध्यप्रदेश में कांग्रेस को बढ़त मिल रही है। जबकि राजस्थान में भाजपा जीत रही है। वहीं छत्तीसगढ़ की बात करें तो यहां भी कांग्रेस को बढ़त है।
किस पर और कब लगता है सट्टा : राजस्थान के फलौदी में रोजाना अघोषित तौर पर करोड़ों रुपए का सट्टा लगता है। सुबह 11 से देर रात तक तमाम मुद्दों पर सट्टा लगाया जाता है। बताया जाता है कि यहां करीब 20 से 22 मुख्य सट्टा कारोबारी हैं। इनके अलावा यहां सैकड़ों दलाल और सटोरिये हैं। यह सारे कारोबारी और सटोरिये बारिश, फसल, चुनाव, क्रिकेट से लेकर क्षेत्र में मामूली चीजों पर जैसे सड़क पर दो सांड की लड़ाई में कौनसा सांड जीतेगा और कौन हारेगा। किसी ने जूता फेंका तो वो सीधा गिरेगा या उल्टा पर भी सट्टा लगाया जाता है। कुल मिलाकर यहां नुक्कड़ से लेकर घरों तक सट्टा खेला जाता है। जिसमें बड़े से लेकर बच्चों तक फलौदी सट्टा बाजार में एक्टिव हैं।
3 टके की मिलती है दलाली : मीडिया की विभिन्न रिपोर्ट के मुताबिक वर्तमान में चल रहे चुनाव, बारिश, या शेयर मार्केट में उचार-चढ़ाव को लेकर नई दिल्ली, कोलकोता, चेन्नई, अहमदाबाद, यूपी, बिहार या देश के अन्य राज्य़ों के सटोरियों के पैसे लगते हैं, जिसमें दलालों को मात्र 3 प्रतिशत की दलाली मिलती है। सटोरियों का सारा पैसा वो अपने स्तर पर पक्ष और विपक्ष में लगाते हैं।
कैसे काम करते हैं फलौदी के सटोरिये : अब सवाल यह है कि आखिर कैसे फलौदी के सटोरिये लगभग सही अनुमान लगा लेते हैं। इसके पीछे उनके अपने तर्क हैं। मान लीजिए, उन्हें चुनावों में हार-जीत पर सट्टा लगाना है तो वे तमाम अखबारों और मीडिया की खबरों को देखते और पढते हैं, नेताओं की सभाओं में आने वाली भीड़ को देखते हैं, लोगों से चर्चा करते हैं, नेताओं के क्षेत्रों में आम लोगों से बात करते हैं। किस नेता को पसंद किया जा रहा है, किसे नापसंद। पार्टी की स्थिति क्या है और यहां तक कि अपने सट्टा नेटवर्क में बाकी सटोरिये किस पर सबसे ज्यादा दाव लगा रहे हैं यह सब देखते हैं और अपना एक कलेक्टिव ओपिनियन तैयार करते हैं, इसी को आधार बनाकर रूझान तय किया जाता है। इसी आधार पर विधानसभा चुनावों में जीत-हार के दावे किए जा रहे हैं।
शेयर मार्क्रेट पर फलौदी की पकड़ : देश के हर मार्केट में फलौदी सट्टा बाजार का जबरदस्त दखल और पकड़ है। सोना-चांदी, शेयर मार्केट, नई कंपनी के शेयर भाव खुलने से लेकर बिकने तक की सट्टेबाजी में दखल है। मुंबई शेयर मार्केट में फलौदी वालों की मजबूत पकड़ है। यहां के 300 लोग वहां काम करते हैं। उनके अनुमानों से बाजार में उतार चढ़ाव आ सकता है और लोग शेयर में पैसे लगाकर पैसे कमाते हैं। जिस शेय़र को फलौदी वालों ने भाव दे दिया, लोग उसमें इन्वेस्ट करते हैं।
कब-कब सटीक बैठा फलौदी का सट्टा : इसी साल मई में कर्नाटक के चुनाव हुए थे। फलोदी सट्टा बाजार ने कर्नाटक में कांग्रेस को 137 और भाजपा को 55 सीटें दी थी। परिणाम में कांग्रेस को 136 और भाजपा को 66 सीटें मिली। फलोदी का यह अनुमान बिल्कुल सही बैठा। इससे पहले फलोदी सट्टा बाजार ने गुजरात में भी भाजपा सरकार की वापसी का अनुमान लगाया था, जो सही साबित हुआ। हिमाचल में कांटे की टक्कर के बीच भी फलौदी बाजार ने कांग्रेस की जीत बताई थी, और कांग्रेस ही जीतकर सत्ता में आई।
500 सालों से चल रहा फलौदी का सट्टा बाजार : फलौदी का सट्टा बाजार पूरी दुनिया में अपने अनोखे कारनामों के चलते विख्य़ात है। यह शहर देश के किसी भी राज्य में सरकार बना सकता है और गिरा सकता है। फलौदी के जानकारों का कहना है कि यहां सट्टा तो 450-500 साल से पारंपरिक रूप से चल रहा है।
जजों और सीए का गांव है फलौदी : ऐसा दावा किया जाता है कि फलौदी में हर घर में जो बुजुर्ग हैं, वो सट्टे से जुड़े हैं। जबकि युवा पढ़ने-लिखने लगे हैं। वो पढ़-लिखकर जज और सीए बन रहे हैं। दावा है कि देश भर में सबसे ज्यादा फलौदी के सीए हैं, जो बही-खाते मेंटेन करते हैं। यहां के युवाओं की सबसे अच्छी बात है कि वो सट्टे से बिलकुल दूर हैं और जयपुर, बीकानेर, उदयपुर में होस्टल में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। 3 दिसंबर को सभी राज्यों के चुनावों के परिणाम आने हैं, ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि फलौदी के सटोरियों के अनुमान कितने सही और कितने गलत होते हैं। नोट : विभिन्न मीडिया रिपोर्ट में दिखाई गई और प्रकाशित खबरों पर आधारित। वेबदुनिया इस रिपोर्ट में किए गए चुनावी हार-जीत के दावों की पुष्टि नहीं करता है।