उत्तरप्रदेश के आजमगढ़ में एक किसान परिवार में जन्मे फ्रैंक इस्लाम को मार्टिन लूथर किंग जूनियर पुरस्कार से दिया गया है। उन्हें यह पुरस्कार फ्रैंक को उनकी मुहिम 'सपनों को जिंदा रखने' के लिए दिया गया है।
इस्लाम मात्र 15 साल की उम्र में अमेरिका चले गए थे। उस समय पांच सौ डॉलर (करीब 31 हजार रुपए) से भी कम अपने साथ ले जाने वाले इस्लाम बाद में एक सफल बिजनेस मैन बने।
उन्होंने अपना घर गिरवी पर रखकर 1993 में मेरीलैंड की एक घाटे में चल रही आईटी कंपनी को 50 हजार डॉलर (करीब 31 लाख रुपए) खरीदा था। उन्होंने 2007 में अपनी आईटी कंपनी बेच दी और अपना जीवन परोपकार के कामों में लगा दिया।
इस्लाम ने किंग और गांधी को अपना मार्गदर्शक मानते हैं। महान नेता की विरासत को दर्शाने वाला यह सम्मान फ्रैंक को अंतरराष्ट्रीय सेवाओं और लोगों से जुड़ने की उनकी प्रवत्ति के लिए दिया गया है।