गुजरात के सबसे चर्चित और सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ के प्रमुख षड्यंत्रकारी अमित शाह गुजरात के मुख्यमंत्री के सबसे चहेते माने जाते हैं। गुजरात के चिकागो में एक बड़े व्यवसायी अनिलचंद्र शाह के घर 1964 को जन्मे अमित शाह गुजरात के पूर्व गृहमंत्री तथा लालकृष्ण आडवाणी के सबसे करीबी माने जाते थे। अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने के बाद वे अपने पिता के घरेलू व्यवसाय में जुड़ गए।
कुछ समय तक स्टॉक ब्रोकर का भी कार्य करने के बाद वे आरएसएस से जुड़ गए और उसके साथ ही बीजेपी के सक्रिय सदस्य भी बन गए। इसी दौरान भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी गांधीनगर लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। अमित शाह उसी दौरान उनके करीब गए और गांधीनगर क्षेत्र में चुनाव के दौरान उनके साथ प्रचार-प्रसार किया।
अमित शाह सबसे कम्र उम्र के गुजरात स्टेट फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड के अध्यक्ष बने। इसके बाद वे अहमदाबाद जिला कॉर्पोरेटिभ बैंक के चेयरमैन बने। 2003 में जब गुजरात में दुबारा नरेन्द्र मोदी की सरकार बनी तब नरेन्द्र मोदी ने उन्हें राज्य मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया और उन्हें गृह मंत्रालय सहित कई तरह की जिम्मेदारियां सौंपीं। अमित शाह बहुत ही जल्द नरेन्द्र मोदी के सबसे करीबी बन गए।
वर्ष 2004 में केंद्र सरकार द्वारा आतंकवाद की रोकथाम के लिए बनाए गए आतंकवाद निरोधक अधिनियम के बाद अमित शाह ने राज्य विधानसभा में गुजरात कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज क्राइम (संशोधित) बिल पेश किया तो इसका राज्य विपक्ष ने बहिष्कार किया था।
2008 में अहमदाबाद में हुए बम ब्लास्ट मामले को 21 दिनों के अंदर सुलझाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस बम ब्लास्ट में 56 लोगों की मृत्यु हो गई थी और 200 से ज्यादा लोग जख्मी हो गए थे। उन्होंने राज्य में और बम ब्लास्ट करने के इंडियन मुजाहिदीन के नेटवर्क के मंसूबे को भी खत्म किया।
अमित शाह के नेतृत्व में 2005 में गुजरात पुलिस ने आपराधिक छवि वाले सोहराबुद्दीन शेख का एन्काउंटर किया था। इस केस में कुछ महीने पहले आईपीएस ऑफिसर अभय चूडास्मा गिरफ्तार हुए जिनके बयान के बाद सीबीआई ने बताया कि सोहराबुद्दीन शेख की हत्या राज्य पुलिस द्वारा की गई है जिसे राज्य सरकार एक मुठभेड़ बता रही है।
कुछ समय बाद सोहराबुद्दीन शेख की पत्नी तथा इस केस की प्रमुख गवाह तुलसी प्रजापति की भी हत्या कर दी गई थी।
इस केस की जांच कर रही राज्य पुलिस की एक शाखा सीआईडी की टीम अमित शाह को अपनी रोजाना की रिपोर्ट सौंपती थी। उन्हीं टीम के सदस्य चूडास्मा और वंजारा को सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया था।
सीआईडी द्वारा इस केस की सही जांच नहीं करने तथा कोई पुख्ता सबुत इकट्ठा नहीं करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस केस की जांच सीबीआई को सौंपी थी। वंजारा सहित सभी अधिकारियों ने अमित शाह के इस केस में शामिल होने के सभी सबूत कॉल डिटेल्स भी खत्म कर दिए थे।
सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ में अमित शाह को दोषी माना गया और उन्हें जेल जाना पड़ा। उन पर हत्या, अपहरण तथा जबरन बयान बदलने के लिए मजबूर करने जैसे आरोप लगे हैं। उनका केस वरिष्ठ वकिल राम जेठमलानी ने लड़ा।
गुजरात हाई कोर्ट तथा सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा कई बार जमानत को खारिज करने के बाद अंतत: गुजरात हाई कोर्ट ने 2010 में उन्हें जमानत दे दी।