आसाराम बापू : प्रोफाइल

FILE
आसाराम बापू देश के एक हिंदू आध्यात्मिक नेता हैं। वे जगत में एक सर्वोच्च सत्ता की मौजूदगी का संदेश देते हैं और लोगों को भक्ति योग, ज्ञान योग और कर्म योग की शिक्षा देते हैं। उनके आलोचक उन्हें एक स्वयंभू संत मानते हैं।

आसाराम बापू ( Asaram Bapu Profile) का जन्म अविभाजित भारत में 17 अप्रैल, 1941 को नवाबशाह जिले के बेरानी गांव में हुआ था जो कि इस समय पाकिस्तान में है। वे आसूमल सिरुमलानी के तौर पर पैदा हुए थे। उनकी मां का नाम मेंहगीबा और पिता का नाम थाउमल सिरुमल था। उनका एक बेटा नारायण प्रेम साईं और एक बेटी है।

युवावस्था में ही उनके पिता का निधन हो गया था और बाद में उनकी मां ने उन्हें योग और आध्यात्मिकता की शिक्षा दी। अंत में उन्होंने घर छोड़ दिया था और वे देश भर में यात्राएं करते रहे। बाद में, वे वृंदावन में स्वामी श्री लीलाशाहजी महाराज के आश्रम में पहुंचे।

आसाराम बापू पर अनेक आरोप लगते रहे हैं। उन पर आरोप लगे हैं कि उनके भक्तों ने कई स्थानों पर बने आश्रमों के आसपास की सरकारी जमीन पर कब्जा जमा लिया है। एक स्थान पर तो प्रशासन को पुलिस की मदद से बुलडोजर चलवाने पड़े और सख्ती से जमीन पर कब्जा हटाना पड़ा।

उन पर हत्या की कोशिश का भी आरोप लग चुका है। उनके आश्रम में रहने वाले एक पूर्व सदस्य राजू चांडक ने पुलिस को दिए एक शपथ पत्र में दावा किया था कि आश्रम में तांत्रिक क्रियाएं होती हैं और उन्होंने बापू को महिलाओं के साथ आपत्तिजनक स्थितियों में देखा है। दिसंबर 2009 में इस खुलासे के बाद साबरमती के रामनगर इलाके में दो लोगों ने राजू पर बंदूकों से हमला किया गया था। गुजरात पुलिस ने आसाराम बापू और दो अन्य पर हत्या की कोशिश का मामला दायर किया था।

उनके आश्रम का गुरुकुल भी विवादों में रहा है। मोटेरा स्थित एक आवासीय स्कूल के दो बच्चों के शव 5 जुलाई, 2008 को साबरमती नदी के किनारे पर पड़े मिले थे। 10 वर्षीय दीपेश वाघेला और 11 वर्षीय अभिषेक वाघेला चचेरे भाई थे और गुरुकुल में रहकर पढ़ते थे। इस मामले के बाद यह मामला सीआईडी को सौंप दिया गया था, जिसने आश्रम के सात साधकों के खिलाफ गैर इरादन हत्या का मामला दर्ज कराया था।

बापू ने दिल्ली गैंगरेप मामले पर भी विवादास्पद बयान दिया था। उन्होंने घटना की शिकार महिला को बलात्कार के लिए समान रूप से जिम्मेदार ठहराया था। उनका कहना था- 'केवल 5-6 लोग जिम्मेदार नहीं हो सकते हैं। पीड़ित बेटी उनकी ही गुनाहगार है जितने कि बलात्कारी...उसे अपराधियों को भाई कहना चाहिए था और उनसे कुछ अनुचित न करने की भीख मांगनी चाहिए थी।'

इतना ही नहीं, उन्होंने अपने बाद के बयानों में आरोपियों को कड़ी सजा न दिए जाने की बात कही। उनका मानना है कि इस तरह से बलात्कार संबंधी कानूनों का दुरुपयोग हो सकता है। अपनी बात को सही साबित करने के लिए उनका तर्क था, 'क्या देश में दहेज कानून का दुरुपयोग नहीं हो रहा है।' बाद में जब मीडिया में उनके बयानों की तीखी आलोचना की गई तो उन्होंने मीडिया को भोंकने वाले कुत्ते करार दिया।

वेबदुनिया पर पढ़ें