जानकी बल्‍लभ पटनायक : प्रोफाइल

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असम के वर्तमान राज्‍यपाल और उड़ीसा के पूर्व मुख्‍यमंत्री रह चुके जानकी बल्‍लभ पटनायक कांग्रेस के लोकप्रिय नेताओं में ये एक हैं। इनका जन्‍म 3 जनवरी 1927 को उड़ीसा के रामेश्‍वर पुरी में हुआ।

इनकी प्रारंभिक शिक्षा उड़ीसा के खुर्दा उच्‍च विद्यालय से पूरी हुई। इसके बाद इन्‍होंने 1947 में उत्कल विश्‍वविद्यालय से संस्‍कृत में स्‍नातक पूरी किया और 1949 में बनारस हिन्‍दू विश्‍वविद्यालय से राजनीति शास्‍त्र में एमए की उपाधि प्राप्‍त की।

विश्‍वविद्यालय में पढ़ाई के दौरान ही जानकी बल्‍लभ पटनायक पत्रकारिता के क्षेत्र में आ गए और उन्‍होंने इस्‍टन टाइम्‍स में सहायक संपादक की नौकरी कर ली। इसके बाद वे लंबे समय तक उड़ीसा से प्रकाशित मासिक पत्रिका 'पौरूष' के संपादक रहे। पटनायक उड़ीसा में पत्रकारिता एवं साहित्‍य में अहम योगदान देने के लिए जाने जाते हैं।

पटनायक ने पुरी के जगन्‍नाथ संस्‍कृत विश्‍वविद्यालय से प्रज्ञान वनस्‍पति अवॉर्ड तथा तिरुपति के राष्‍ट्रीय संस्‍कृत संस्‍थान से डीलिट की उपाधि प्राप्‍त की। अंग्रेजों के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन में वे विद्यार्थियों के नेता बन गए और 1950 में वे राज्‍य युवा कांग्रेस के अध्‍यक्ष बन गए। पटनायक 1956 में ऑल इंडिया समाचार-पत्र संपादक वार्ता में स्‍टैंडिंग कमेटी के सदस्‍य बने तथा उड़ीसा साहित्‍य अकादमी के स्‍टैंडिंग कमेटी के सदस्‍य बने।

1971 में पटनायक पहली बार कटक लोकसभा सीट से चुनाव जीते। 1973 में वे इंदिरा गांधी के शासनकाल में रक्षा मंत्रालय में सहायक मंत्री बने और 1977 में रक्षा मंत्रालय के राज्‍यमंत्री बने। पटनायक 1980 में हुए लोकसभा चुनाव में पुन: चुन लिए गए। इसके बाद वे केंद्र में टूरिज्‍म, सिविल एविएशन तथा लेबर के कैबिनेट मंत्री बने।

इसी दौरान पटनायक उड़ीसा कांग्रेस पार्टी के नेता चुन लिए गए और वे राज्‍य के मुख्‍यमंत्री बने। 1985 में वे पुन: चुनाव जीतकर पार्टी के नेता चुने गए और दुबारा राज्‍य के मुख्‍यमंत्री बने।

1995 में पटनायक राज्‍य के तीसरी बार मुख्‍मंत्री बने। 2004 में वे उड़ीसा विधानसभा में पार्टी की ओर से विपक्ष के नेता बने। 2008 में वे प्रेसटिजियस तिरुपति संस्‍कृत विश्‍वविद्यालय के कुलपति बने। 11 दिसंबर 2009 को पटनायक असम के राज्‍यपाल बने।

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