सिंह ने बुधवार को कहा कि उनकी पार्टी किसी भी आंदोलन में किसी तरह की हिंसा का कोई समर्थन नहीं करती, पर दो महीने से जारी एक शांतिपूर्ण आंदोलन इस स्थिति में कैसे पहुंचा, इसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए। यह घटना आंदोलन को बदनाम करने की साजिश है।
उन्होंने कहा कि देश के अन्नदाताओं और किसान संगठनों ने दिल्ली के अंदर प्रशासन के साथ कई दौर की बातचीत करके 26 जनवरी के दिन ट्रैक्टर रैली का रूट तय किया और उसके बाद जो दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई उसको भी लोगों ने देखा। आंदोलन में पहली बार हिंसा देखने को मिली। लाल किले पर कुछ लोग पहुंच गए और वहां मारपीट का दृश्य देखने को मिला।
पार्टी किसी भी प्रकार के आंदोलन में हिंसा का समर्थन नहीं करती, मगर इस घटना का दूसरा पक्ष यह है कि बड़े पैमाने पर किसान भी इसका शिकार हुए। आप नेता ने कहा, जो लोग लाल किले तक पहुंचे उनकी तस्वीरें देश के प्रधानमंत्री के साथ हैं।
उन्होंने सवाल उठाया कि ये लोग आंदोलन में हैं तो उनको कहां से संरक्षण प्राप्त है, इसकी जांच होनी चाहिए। किसान संगठनों ने भी लाल किले की कार्रवाई को गलत बताया है, उसकी आलोचना की और कहा कि हम इस प्रकार की किसी भी घटना का समर्थन नहीं करते। ऐसे में इस हिंसा के पीछे कोई बड़ी साजिश हो सकती है।