सत्ताधारी न भूलें कि हमारे देश में किसान ही प्रथम है और प्राथमिक भी। किसान अपना हक मांग रहे है, वे दृढ़ निश्चयी हैं कि वे इसे लेकर रहेंगे। न्यूनतम समर्थन मूल्य और मंडी समितियों के अस्तित्व को लेकर सरकार और किसान संगठनों के बीच मतभेद है। सरकार से किसान तीनों कृषि विधयेक वापस लेने की मांग कर रहे हैं। कानून की वापसी का यह कोई पहला मामला नहीं है। पहले के भी ऐसे उदाहरण हैं। अतः भाजपा नेतृत्व की इस संबंध में हठधर्मी समझ में नहीं आती है।
सचाई यह है कि किसान एकजुट हैं। उनका आंदोलन बढ़ता ही जा रहा है। इसमें किसान परिवारों के बूढ़े-बच्चे-महिलाएं तक शामिल हैं, जो इस ठंड के मौसम में आज 18वें दिन भी आंदोलनरत हैं। समाजवादी पार्टी किसानों की मांगों का समर्थन करती है। उसकी सहानुभूति किसानों के साथ है। समाजवादी पार्टी की 7 दिसंबर 2020 से किसान यात्राएं चल रही है और 14 दिसंबर 2020 को वह किसानों के समर्थन में धरना भी देगी।