NCERT new book News : एनसीईआरटी की आठवीं कक्षा की नई पाठ्यपुस्तक में मुगल सम्राटों के शासनकाल का वर्णन करते हुए कहा गया है कि अकबर का शासन क्रूरता और सहिष्णुता का मिश्रण था, बाबर एक निर्मम आक्रमणकारी था, जबकि औरंगजेब एक सैन्य शासक था, जिसने गैर-मुस्लिमों पर जजिया लगा दिया था। पहले के संस्करणों में कक्षा 7 में इनमें से कुछ विषयों को शामिल किया गया था। एनसीईआरटी का कहना है कि अब इस कालखंड को पूरी तरह से कक्षा 8 में स्थानांतरित कर दिया गया है, जो स्कूल शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCFSE) 2023 की सिफारिशों के अनुरूप है।
इस सप्ताह प्रकाशित पुस्तक एक्सप्लोरिंग सोसाइटी: इंडिया एंड बियॉन्ड एनसीईआरटी (राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान और परीक्षण परिषद) के नए पाठ्यक्रम की पहली पुस्तक है, जो विद्यार्थियों को दिल्ली सल्तनत, मुगलों, मराठों और औपनिवेशिक युग से परिचित कराती है।
पहले के संस्करणों में कक्षा 7 में इनमें से कुछ विषयों को शामिल किया गया था। एनसीईआरटी का कहना है कि अब इस कालखंड को पूरी तरह से कक्षा 8 में स्थानांतरित कर दिया गया है, जो स्कूल शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCFSE) 2023 की सिफारिशों के अनुरूप है। पुस्तक के आरंभ में इतिहास के कुछ अंधकारमय काल पर टिप्पणी शीर्षक वाला एक खंड है। इसमें एनसीईआरटी ने संवेदनशील और हिंसक घटनाओं, मुख्य रूप से युद्ध और रक्तपात को शामिल किया है।
इसमें दिए गए नोट में छात्रों से आग्रह किया गया है कि वे क्रूर हिंसा, अपमानजनक कुशासन या सत्ता की गलत महत्वाकांक्षाओं के ऐतिहासिक मूल को निष्पक्षता से समझें। इसमें कहा गया, अतीत की घटनाओं के लिए आज किसी को भी जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए।
नई पुस्तक में भारतीय इतिहास के 13वीं से 17वीं शताब्दी तक के कालखंड को भारत के राजनीतिक मानचित्र का पुनर्निर्माण नामक अध्याय के तहत शामिल किया गया है। इसमें दिल्ली सल्तनत के उत्थान और पतन तथा उसका प्रतिरोध, विजयनगर साम्राज्य, मुगलों और उनका प्रतिरोध तथा सिखों के उत्थान पर प्रकाश डाला गया है।
एनसीईआरटी की आठवीं कक्षा की नई सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तक छात्रों को दिल्ली सल्तनत और मुगलों से परिचित कराती है। इसमें बाबर को एक बर्बर और निर्मम विजेता बताया गया, जिसने शहरों की पूरी आबादी का कत्लेआम किया। इसमें औरंगजेब को एक सैन्य शासक बताया गया है, जिसने मंदिरों और गुरुद्वारों को नष्ट किया। इसमें उस काल के दौरान धार्मिक असहिष्णुता के कई उदाहरण बताए गए हैं।
किताब में अकबर के शासनकाल को विभिन्न धर्मों के प्रति क्रूरता और सहिष्णुता का मिश्रण बताया गया है, साथ ही यह भी बताया गया है कि प्रशासन के उच्च स्तरों पर गैर-मुसलमानों को अल्पसंख्यक रखा गया था। चित्तौड़गढ़ की घेराबंदी के बाद अकबर को लगभग 30,000 नागरिकों के नरसंहार का आदेश देने वाला बताया गया है।
किताब में जज़िया का उल्लेख किया गया है, जिसे कुछ सुल्तानों ने गैर-मुस्लिम प्रजा पर सैन्य कार्रवाई से सुरक्षा और छूट देने के लिए लगाया था। इसमें कहा गया है कि यह कर सार्वजनिक अपमान का कारण था और प्रजा को इस्लाम धर्म अपनाने के लिए एक वित्तीय एवं सामाजिक प्रोत्साहन देता था। कक्षा सातवीं की पुरानी किताब में बताया गया था कि जज़िया गैर-मुस्लिमों द्वारा शुरू में भूमि कर के साथ चुकाए जाने वाला कर था जिसे बाद में इसे अलग से दिया जाने वाला कर बताया गया।
किताब में जहां सल्तनत और मुगल काल के खंड में स्याह पक्षों को रेखांकित किया गया है वहीं प्रतिरोध और लचीलेपन के बारे में भी बताया गया है। नई पाठ्यपुस्तक में मराठों, अहोमों, राजपूतों और सिखों पर आधारित अध्याय छत्रपति शिवाजी महाराज, ताराबाई और अहिल्याबाई होलकर जैसी हस्तियों पर प्रकाश डालते हैं और उन्हें दूरदर्शी नेताओं के रूप में चित्रित करते हैं जिन्होंने सांस्कृतिक और राजनीतिक विकास में योगदान दिया।
पाठ्यपुस्तक में शिवाजी को एक कुशल रणनीतिकार के रूप में वर्णित किया गया है, जिन्होंने अन्य धर्मों का सम्मान करते हुए हिंदू मूल्यों को कायम रखा। पुस्तक में खंडित किए गए मंदिरों के पुनर्निर्माण में उनके प्रयासों का उल्लेख है। एनसीईआरटी के सामाजिक विज्ञान पाठ्यक्रम क्षेत्र समूह के प्रमुख मिशेल डैनिनो ने पाठ्यपुस्तक का बचाव करते हुए कहा कि इसमें मुगल शासकों को शैतान बताने का कोई प्रयास नहीं किया गया है।
केंद्रीय राज्य मंत्री बीएल वर्मा ने भी उनके विचारों को दोहराते हुए कहा कि अगली पीढ़ी को उनके बारे में जानना चाहिए। वर्मा ने कहा, मुगलों ने हम पर लंबे समय तक शासन किया। अगली पीढ़ी को इसके बारे में जानना चाहिए। हमें सच्चाई स्वीकार करनी चाहिए। अगली पीढ़ी को अध्ययन करना चाहिए कि आखिर क्या हुआ था?
आठवीं कक्षा की नई पाठ्यपुस्तक में मुगलों के विरुद्ध वीरतापूर्ण प्रतिरोध पर भी एक खंड है, जिसमें जाट किसानों द्वारा मुगल अधिकारियों को मारने में सफल होने तथा भील, गोंड, संथाल और कोच जनजातीय समुदायों द्वारा अपने क्षेत्रों की रक्षा के लिए लड़ी गई लड़ाई भी शामिल हैं।
इसमें गोंड राज्य की रानी दुर्गावती के बारे में जानकारी दी गई है, जिन्होंने अकबर की सेना के विरुद्ध युद्ध लड़ा था। मेवाड़ के शासक महाराणा प्रताप के बच निकलने और पूर्वोत्तर भारत में औरंगजेब की सेना के विरुद्ध अहोमों के प्रतिरोध पर भी कुछ खंड जोड़े गए हैं। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour