एक्सप्लेनर: लाल किले पर झंडा फहराने से कमजोर हुआ किसान आंदोलन,टल सकता है 1 फरवरी का संसद मार्च

विकास सिंह

बुधवार, 27 जनवरी 2021 (12:55 IST)
दिल्ली में किसान संगठनों की ट्रैक्टर परेड के नाम पर हुए शर्मनाक उत्पात के बाद अब देश भर से उपद्रवकारियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग हो रही है। पूरा किसान आंदोलन उपद्रवियों की लाल किले पर उस स्थान पर अपना झंडा फहराने से कठघरे में आ गया है,जहां स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री झंडा फहराते है। ट्रैक्टर परेड के दौरान जिस तरह पूरा आंदोलन अराजक होकर हिंसा की ओर बढ़ गया है उससे अब पूरे किसान आंदोलन की जड़ें कमजोर हो गई है। 
ALSO READ: गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में अराजक आंदोलन से शर्मसार लोकतंत्र !
कल तक संयुक्त ताकत की बात करते रहे संगठन अब अपने-अपने संगठन का बचाव करते दिख रहे है। वहीं अब सबसे बड़ा सवाल यह भी उठ खड़ा हो गया है कि कल की हिंसा के बाद क्या किसानों का एक फरवरी को होने वाले संसद मार्च होगा।

संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से 25 जनवरी को इस बात का बकायदा एलान किया गया था कि एक फरवरी को किसान नए कृषि बिल के विरोध में संसद मार्च करेंगे। किसान आंदोलन के जुड़े सूत्र बताते है कि मंगलवार को हुई हिंसा के बाद अब संयुक्त किसान मोर्चा पहले से तय संसद मार्च के कार्यक्रम से फिलहाल पीछे हट सकता है और एक फरवरी को होने वाले संसद मार्च को टाला जा सकता है। हलांकि अभी इसको लेकर किसान संगठनों के बीच मतभेद है।  
ALSO READ: दिल्ली हिंसा के आरोपी दीप सिद्धू से संबंधों पर क्या बोले सनी देओल...
किसानों के संयुक्त बयान में उत्पात से पल्ला झाड़ने की कोशिश की गई है, लेकिन यह सच है कि इनके बीच कई संगठनों की गतिविधियां शुरू से ही संदिग्ध रही हैं। मंगलवार को हिंसा के बाद आंदोलन के नेता अब जोर-शोर से अपने को पाक साफ बताने में जुटे है।

किसान आंदोलन के अगुआ और स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योंगेद्र यादव कहते है कि लाल किले पर जिस स्थान पर प्रधानमंत्री झंडा फहराते है वहां भी कोई और झंडा फहराया जाने किसी भी स्थिति से ठीक नहीं ठहराया जा सकता। वह आंदोलन के दौरान लाल किले पर उत्पात करने, झंडा फहराने, पुलिस पर हमला करने और पुलिस के बेरिकेड्स तोड़ने की निंदा करते हुए कहते हैं कि राष्ट्रीय क्षोभ और शर्मिंदगी का विषय बताते हुए कहते हैं कि इस घटना के हर भारतीय के साथ उनका सिर भी शर्म से झुक गया है।
ALSO READ: राकेश टिकैत बोले- राजनीतिक पार्टियों के लोग कर रहे हैं किसान आंदोलन में गड़बड़ी, ट्रैक्टरों में हुई तोड़फोड़ की भरपाई करे पुलिस
योगेंद्र यादव लाल किले पर हिंसा के लिए पंजाब के किसान मजदूर संघर्ष समिति को जिम्मेदार बताते हुए कहते हैं कि संगठन का संयुक्त किसान मोर्चा से कोई संबंध नहीं है। वह कहते हैं कि किसान मजदूर संघर्ष समिति ने जानबूझकर आंदोलन में खुराफत की और कल जब ट्रैक्टर परेड हुई तो यह संगठन सबसे आगे हो गया है। वहीं लालकिले पर झंडा फहराने वाले दीप सिद्धू को खालिस्तानी रूझान वाला बताते हुए कहते है जानबूझकर उसने लालकिले पर झंडा फहराया।
ALSO READ: बेकाबू हुआ किसान आंदोलन, लाल किले पर फहराया झंडा
योगेंद्र यादव दीप सिद्धू की भाजपा नेताओं के साथ सामने आई तस्वीर के जरिए निशाना साधते हुए कहते हैं कि यह सब जानबूझकर आंदोलन को बदनाम करने के लिए किया गया। योगेंद्र यादव मानते है कि किसान आंदोलन जिस तरह बेकाबू हो गया और अब आंदोलन को आगे चलाने के लिए इससे तोड़ने वाले लोगों पर सख्ती की जाएगी। 
ALSO READ: किसानों-पुलिस के जंग के मैदान में बदली दिल्ली की सड़कें, आंदोलन के अराजक होने की जिम्मेदारी कौन लेगा?
मंगलवार को हुई हिंसा के बाद अब सरकार आंदोलन को  लेकर सख्ती के मूड में आ गई है। मंगलवार देर शाम तक चली उच्च स्तरीय बैठक के बाद गृहमंत्री अमित शाह ने भी संकेत दिए हैं कि जरूरत से ज्यादा संयम दिखा चुकी दिल्ली पुलिस अब किसी अराजकता को छूट नहीं देगी। शुरुआती जांच में पुलिस ने अब तक 22 एफआईआर दर्ज कर ली है।
ALSO READ: Live Updates : लाल किले में हिंसा के सबूत, प्रदर्शनकारियों ने किले के अंदर भी की तोड़फोड़
देश की खुफिया एजेंसियां कई किसान संगठनों और नेताओं की पृष्ठभूमि पर पहले से संदेह जता रही थी।खुफिया एजेंसियों को मिले इनपुट में अभी भी हिंसा की आशंका है, जिसे देखते हुए दिल्ली समेत पंजाब-हरियाणा को अलर्ट पर रखा गया है। दिल्ली में ट्रैक्टर परेड के दौरान अलग-अलग जगहों पर हुई तोड़फोड़ और हिंसा में 300 से अधिक पुलिस कर्मी घायल हुए । 
 

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी