एक्सप्लेनर: किसान-सरकार की बातचीत के रास्ते में बिछे ‘कांटे'!, समझौते की मंजिल और हुई दूर

विकास सिंह
मंगलवार, 2 फ़रवरी 2021 (13:34 IST)
नए कृषि कानून पर सरकार और किसान संगठनों के बीच तकरार बढ़ती जा रही है। गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर परेड और उस दिन दिल्ली में हुई हिंसा के बाद अब दोनों ही पक्ष एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर रहे है। कृषि कानूनों पर दोनों ही पक्षों के अपने-अपने रूख पर अड़े होने के बाद कोई सकारात्मक हल निकलने की उम्मीद हाल फिलहाल नजर नहीं आ रही है। इन सबके बीच किसान संगठनों ने 6 फरवरी को देश के सभी नेशनल और स्टेट हाईवे पर चक्का जाम करने का एलान कर दिया है।  

किसानों संगठनों के अक्रामक रुख और दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर हुई हिंसा के बाद अब दिल्ली की एक तरह से किलेबंदी के रूप में बदला जा रहा है। दिल्ली की सीमा पर आंदोलन कर रहे किसान अब दिल्ली फिर से न घुस पाए इसके लिए बॉर्डर पर पुलिस कई तरह के इंतजाम कर रही है। इसके लिए सिंघु बॉर्डर पर चार, टिकरी पर सात और गाजीपुर बॉर्डर पर 12 लेयर की बैरिकेडिंग की गई है। इसके साथ बॉर्डर पर चार फीट मोटी सीमेंट की दीवार खड़ी करने के साथ सड़क खोदकर नुकीले कील और सरिया लगाई जा रही है। जिससे अगर किसान अब दोबार अपने ट्रैक्टर लेकर दिल्ली की सीमा पर एंट्री की कोशिश करें तो उनके पहिए पंचर हो जाए। 
 
उत्तरप्रदेश और दिल्ली सीमा पर स्थित गाजीपुर बॉर्डर जहां भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत की अगुवाई में धरने पर बैठे है वहां पर लगातार किसानों के पहुंचने का सिलसिला जारी है। किसानों की बढ़ती संख्या के बाद सीमा पर सुरक्षा इंतजाब बढ़ा दिए गए है। बॉर्डर यूपी पुलिस और दिल्ली पुलिस के जवानों के पीएसी और पैरामिलिट्री फोर्स के जवान तैनात किए गए है। 
 
किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े आशुतोष मिश्रा कहते हैं कि सरकार जिस आंदोलन के खिलाफ दमनकारी नीति अपनाती जा रही है वह एक तरह से आंदोलन को कुचलने की कोशिश है। वह कहते हैं कि जिस तरह गाजीपुर बॉर्डर पर पुलिस ने सुरक्षा बढ़ाई है उससे तो दिल्ली के लोग ही परेशान होंगे और सरकार ऐसा जानबूझकर कर रही है। वह कहते हैं कि सरकार की  कोशिश कि किसी तरह किसान आंदोलन को मिल रहे जनसमर्थन को खत्म किया जाए। 
 

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