Bareilly Uttar Pradesh News : एक कहावत है कि 'अंधा पीसे कुत्ता खाए', यह बरेली के राजकीय इंटर कॉलेज पर सटीक बैठती है, क्योंकि यहां सिस्टम की सुस्ती और संसाधनों की बर्बादी का एक मामला सामने आया है। छात्राओं को देने के लिए लैपटॉप आए, जो एक कमरे में बंद हैं और उनकी देखरेख में 2 कांस्टेबल ड्यूटी दे रहे हैं। 2 कांस्टेबल की ड्यूटी कुछ महीनों से नहीं बल्कि कई वर्षों से लग रही है। जिस समय यह लैपटॉप आए थे उनकी कीमत थी 14 लाख 60 हजार रुपए मात्र और अब तक लैपटॉप की सुरक्षा में 53 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं, सुनकर आप चौंक गए ना। आइए, अब कहानी विस्तार से बताते हैं।
73 लैपटॉप की निगरानी कुछ समय तक स्थाई कांस्टेबल द्वारा हो रही थी, लेकिन अब जो नए कांस्टेबल भर्ती हो रहे हैं, उन्हें ड्यूटी पर लगाया जा रहा है। एक कांस्टेबल की सैलरी प्रतिमाह 28000 रुपए के करीब है, इस तरह दो कांस्टेबल की हर माह तनख्वाह 56000 रुपए बैठती है, जो विगत 8 सालों में 54 लाख के आसपास है। जबकि लैपटॉप की कुल कीमत 14 लाख 60 हजार रुपए थी।
पता चला कि शेष बचे हुए लगभग 73 लैपटॉप वर्तमान में जीआईसी (राजकीय इंटर कॉलेज) में रखे हुए हैं। इस संबंध में कार्यालय द्वारा विभाग और शासन को लिखित पत्राचार किया गया है। शासन से निर्देश के मुताबिक लैपटॉप पर विभागीय कार्यवाही सुनिश्चित होगी। वहीं जब यह लैपटॉप आए थे उनकी संख्या ज्यादा थी और सुरक्षा के लिए कांस्टेबल लगे, अब हमें जैसे निर्देश शासन देगा उसी के अनुरूप कार्य करेंगे।
बरेली में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं को जैसे ही लैपटॉप की जानकारी मिली तो वह आक्रोशित हो गए। सपा नेता का कहना है कि अखिलेश यादव ने गरीब बच्चों के हाथों में लैपटॉप पहुंचाया है। उन्होंने गरीब छात्रों का सपना पूरा किया, लेकिन बरेली के राजकीय विद्यालय के एक कमरे में 73 लैपटॉप बंद किए हुए है जो सपा सरकार की योजना के हैं। जिला विद्यालय निरीक्षक को ज्ञापन देकर लैपटॉप वितरण की बात कही है।