भाजपा मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन के दौरान एक पत्रकार ने जब किसानों का संदर्भ दिया, जिन्होंने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन को कवर करने के दौरान कथित तौर पर कैमरामैन पर हमला किया तो लेखी ने कहा, आप उन्हें किसान कहना बंद करें, वे किसान नहीं हैं। वे कुछ साजिशकर्ताओं के हाथों में खेल रहे हैं। किसानों के पास जंतर-मंतर पर बैठने का समय नहीं है। वे खेतों में काम कर रहे हैं। उनके (प्रदर्शनकारियों के) पीछे बिचौलिये हैं, जो नहीं चाहते कि किसानों को लाभ मिले। उन्होंने 26 जनवरी को प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा का हवाला देते हुए कहा कि वे प्रदर्शनकारी, किसान नहीं थे।
एक प्रमुख हिंदी चैनल के कैमरामैन पर हमले और 26 जनवरी की हिंसा के सवाल पर लेखी ने कहा कि आप ने फिर उन्हें किसान कहा। वे मवाली हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे हमले आपराधिक घटनाएं हैं, जिनपर संज्ञान लिया जाना चाहिए।