चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग 12 साल से अधिक समय के अपने शासनकाल में पहली बार सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख संगठनों को अधिकार सौंपना शुरू कर रहे हैं। जिनपिंग के इस कदम से अटकलें लगाई जा रही हैं कि वे व्यवस्थित सत्ता हस्तांतरण के लिए आधार तैयार कर रहे हैं या संभावित सेवानिवृत्ति की तैयारी के तहत अपनी भूमिका को कम कर रहे हैं।
शी के सत्ता हस्तांतरण के बारे में अटकलें तब तेज हुईं जब सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने हाल ही में बताया कि सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) के शक्तिशाली 24-सदस्यीय राजनीतिक ब्यूरो ने 30 जून को अपनी बैठक में पार्टी के संस्थानों के काम को लेकर नए नियमों की समीक्षा की।
शी की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि ये नियम सीपीसी केंद्रीय समिति की निर्णय लेने वाली, विचार-विमर्श करने वाली और समन्वयकारी संस्थाओं की स्थापना, जिम्मेदारियों और संचालन को और अधिक मानकीकृत करेंगे।
शिन्हुआ की खबर में कहा गया है कि ऐसी संस्थाओं को अपने प्रमुख कार्यों के संबंध में नेतृत्व और समन्वय को लेकर अधिक प्रभावी प्रयोग करने चाहिए और प्रमुख कार्यों की योजना बनाने, चर्चा करने और देखरेख करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
नाम सार्वजनिक नहीं करने की की शर्त पर चीन में रहने वाले एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा कि पार्टी के इन निकायों के लिए निर्धारित किए गए नियम शी की सेवानिवृत्ति की तैयारी का संकेत हो सकते हैं।
हांगकांग के समाचार पत्र साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने रविवार को विश्लेषक के हवाले से कहा," सत्ता परिवर्तन के लिहाज से यह महत्वपूर्ण समय है, लिहाजा हो सकता है कि निकायों को विनियमित करने के लिए ये नए नियम बनाए गए हैं।”
हालांकि, दूसरे विशेषज्ञों का कहना है कि सीपीसी के संस्थापक माओत्से तुंग के बाद सबसे शक्तिशाली नेता माने जाने वाले शी खुद कुछ बड़े मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कुछ शक्तियां दूसरों को सौंप सकते हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया सैन डिएगो में चीनी अभिजात्य राजनीति और वित्त मामलों के विशेषज्ञ विक्टर शिह ने समाचार पत्र से कहा, "ऐसा प्रतीत होता है कि शी चिनफिंग शायद दिन-प्रतिदिन के विवरणों पर कम ध्यान देते हैं, जिसके लिए एक निगरानी तंत्र की आवश्यकता है।”
शी ने रविवार से रियो डी जेनेरियो में होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भी भाग नहीं लिया। राष्ट्रपति बनने के बाद यह पहला मौका है जब वे उभरती अर्थव्यवस्थाओं के शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लेंगे। शिखर सम्मेलन में चीन के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व प्रधानमंत्री ली कियांग कर रहे हैं।
शी ने सत्ता सौंपने का कदम ऐसे समय उठाया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ युद्ध शुरू कर दिया है, चीन का अमेरिका को होने वाला 440 अरब डॉलर का निर्यात बाधित हो रहा है।
इसके अलावा चीनी अर्थव्यवस्था भी कई चुनौतियों का सामना कर रही है। अर्थव्यवस्था में निरंतर सुस्ती के कारण विकास में गिरावट आ रही है। इसके अलावा आर्थिक विकास का मुख्य आधार आवास बाजार कमजोर हो रहा है।
साल 2012 में सीपीसी के महासचिव बनकर सत्ता संभालने के बाद से शी सत्ता के केंद्रों यानी पार्टी, राष्ट्रपति पद और केंद्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) के अध्यक्ष के रूप में शक्तिशाली सेना पर अपनी पकड़ को तेजी से मजबूत किया है। इससे पहले शी उपराष्ट्रपति थे।
सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत करते हुए उन्होंने चीन का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार विरोधी अभियान चलाया जिसमें दस लाख से अधिक अधिकारियों को दंडित किया गया और दर्जनों शीर्ष जनरलों को पदों से हटा दिया गया। इस दौरान शी को पार्टी का "मुख्य नेता" घोषित किया गया जबकि इससे पहले यह पद केवल पार्टी के संस्थापक माओत्से तुंग को ही दिया गया था।
बाद में, किसी राष्ट्रपति के पांच-पांच साल के दो कार्यकाल के प्रमुख नियम को विधायिका ने संशोधित किया, जिससे 2022 में पार्टी के महासचिव के रूप में और अगले वर्ष देश के राष्ट्रपति के रूप में उनके अभूतपूर्व तीसरे पांच-वर्षीय कार्यकाल के लिए चुने जाने का मार्ग प्रशस्त हुआ।
शी के सभी पूर्ववर्ती दो पांच साल के कार्यकाल के बाद सेवानिवृत्त हो गए, जबकि वह बिना किसी कार्यकाल सीमा के सत्ता में बने रहे और उन्हें आजीवन राष्ट्रपति का तमगा मिला। विश्लेषकों का कहना है कि सत्ता में बने रहने या सत्ता में भागीदारी करने की उनकी योजना 2027 में होने वाली सीपीसी की अगली पंचवर्षीय कांग्रेस से पहले या उसके दौरान आने की उम्मीद है, तब तक उनका तीसरा कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। (भाषा) Edited by: Sudhir Sharma