यह रैली इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि आगामी 8 जनवरी को किसान प्रतिनिधियों और सरकार के बीच एक बार फिर से वार्ता होनी है। यदि इस वार्ता से कोई हल नही निकलता है तो किसान 9 जनवरी को कृषि कानून की कॉपी जलाएंगे और हरियाणा के किसान डोर-टू-डोर जनसंपर्क अभियान शुरू करेंगे।
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत व अन्य किसान संगठन पहले ही अपनी मंशा साफ कर चुके हैं कि 26 जनवरी को ट्रैक्टर पर सवार होकर किसान राजपथ पर होने वाली परेड का हिस्सा बनेंगे। रैली की घोषणा के बाद जगह-जगह स्थानीय पुलिस-प्रशासन ने मोर्चा संभाल लिया है, जिसके चलते गौतमबुद्ध नगर पुलिस के मुताबिक गुरुवार शाम 5 बजे तक पेरिफेरल एक्सप्रेसवे पर पर रूट डायवर्जन किया गया।
गुरुवार की सुबह ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे से किसानों की ट्रैक्टर यात्रा का रूट दुहाई (गाजियाबाद) से डासना, बील अकबरपुर, सिरसा (ग्रेटर नोएडा) है। इसके चलते बील अकबरपुर और सिरसा कट से पलवल की तरफ वाहनों को एक्सप्रेस-वे पर जाने की अनुमति नहीं होगी। वहीं, सिरसा और बील अकबरपुर कट से सोनीपत की तरफ जाने वाले वाहनों को एक्सप्रेस-वे पर जाने नहीं दिया गया।
किसानों के जत्थे ट्रैक्टर ट्राली में सवार होकर केंद्र सरकार को चेताने के लिए सड़कों पर उतर गए और सड़कों पर जाम लग गया है। मेरठ रेंज के आईजी समेत बड़े अधिकारी गाजियाबाद बॉर्डर पर डटे रहे। इतना ही नहीं आसपास के जिलों से भी किसान इस ट्रैक्टर रैली में शामिल हुए। आगामी वार्ता में किसानों का ये शक्ति प्रदर्शन क्या रुख दिखाएगा ये तो आने वाला समय ही तय करेगा।