बहरहाल, किसान संगठनों ने राज्यसभा में प्रधानमंत्री मोदी की टिप्पणी पर आपत्ति की है कि देश में आंदोलनकारियों की नई नस्ल उभरी है जिसे आंदोलनजीवी कहा जाता है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में आंदोलन की महत्वपूर्ण भूमिका है। संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ सदस्य किसान नेता शिवकुमार कक्काजी ने कहा कि वे अगले दौर की वार्ता के लिए तैयार हैं और सरकार को बैठक की तारीख और समय बताना चाहिए।
विवादास्पद कृषि कानूनों को लेकर 11 दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन गतिरोध बना हुआ है क्योंकि किसान संगठन तीनों कानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने पर अडिग हैं। पिछले दौर की वार्ता में सरकार ने कानूनों को 12 से 18 महीने तक निलंबित रखने की पेशकश की थी, लेकिन किसान संगठनों ने इसे खारिज कर दिया।
राज्यसभा में राष्ट्रपति के संबोधन पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों को आश्वासन दिया कि मंडियों का आधुनिकीकरण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं एमएसपी जारी है और जारी रहेगा। मोदी ने किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील करते हुए कहा कि उन्हें (आंदोलनकारियों को) आंदोलन वापस लेना चाहिए और हम मिल-बैठकर समाधान निकालेंगे और वार्ता के दरवाजे खुले हुए हैं। इस सदन से मैं उन्हें वार्ता के लिए फिर आमंत्रित करता हूं।
कोहाड़ ने कहा कि अगर सरकार दावा करती है कि एमएसपी जारी रहेगा तो फिर वह न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी क्यों नहीं दे रही है। उन्होंने कहा कि किसान संगठन वार्ता के लिए तैयार हैं, लेकिन औपचारिक निमंत्रण मिलना चाहिए।