मुजफ्फरनगर। कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन के चलते सत्तारूढ़ पार्टी के मंत्रियों, सांसदों, विधायकों और पदाधिकारियों को गांवों में भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है। एक तरफ भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और गृहमंत्री अमित शाह ने पार्टी के नुमाइंदों को ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर खाप के मुखियाओं और किसानों को समझाने के निर्देश दिए हैं, वहीं भाजपा नेताओं को किसान गांवों में घुसने भी नहीं दे रहे।
आज मुज़फ्फरनगर के शोरम गांव में जब केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान एक कार्यक्रम में गए तो किसानों ने विरोध में नारे लगाए। इसके बाद भाजपा समर्थक और रालोद समर्थक किसान आपस में भिड़ गए। लांठियां चलीं, किसान घायल हुए और उसके बाद किसान थाना शाहपुर का घेराव कर बैठ गए। किसानों के समर्थन में रालोद भी उतर आई है।
मंत्री संजीव बालियान के काफिले के आज जैसे ही मुजफ्फरनगर के शोरम चौपाल पर पहुंचा तो ग्रामीणों और युवाओं ने भाजपा मुर्दाबाद और किसान एकता जिंदाबाद के नारे लगा दिए। मंत्री समर्थक नारों से बौखला गए और किसानों पर लाठी-डंडों से हमला कर दिया।
इसमें आधा दर्जन से अधिक किसान गंभीर रूप से घायल हो गए। ग्रामीणों का आरोप है कि भाजपा सांसद संजीव बालियान के साथ आए युवकों ने लाठी-डंडों से गांव के युवकों के साथ मारपीट की, वहीं जब जान बचाकर युवक एक घर में घुस गए तो संजीव बालियान के समर्थकों ने घर का गेट तोड़ दिया और घर में मौजूद महिलाओं के साथ भी अभद्रता की है।
ग्रामीणों का आक्रोश बढ़ता हुआ देखकर संजीव बालियान और उनके समर्थक गांव से बाहर चले गए। इसके बाद शोरम गांव की चौपाल पर ग्रामीणों द्वारा पंचायत की गई। इस पंचायत में बड़ी संख्या में राष्ट्रीय लोकदल के नेता और कार्यकर्ता मौजूद रहे। संजीव बालियान द्वारा की गई गुंडागर्दी और मारपीट से नाराज गांव की महिलाओं ने भी संजीव बालियान मुर्दाबाद भाजपा मुर्दाबाद के नारे लगाकर प्रदर्शन किया।
ग्रामीणों द्वारा आयोजित पंचायत के बाद बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने शाहपुर थाने का घेराव किया। किसानों का कहना था कि संजीव बालियान के समर्थकों की गिरफ्तारी नहीं होगी, वह तब तक थाने पर ही डटे रहेंगे। बहरहाल, इस पूरे विवाद पर कोई भी अधिकारी अपनी प्रतिक्रिया देने को तैयार नहीं है।
केन्द्रीय राज्यमंत्री संजीव बालियान ने इस घटना पर ट्वीट करते हुए कहा है कि वे सोरम में एक 13वीं में शामिल होने गए थे, जहां राष्ट्रीय लोकदल के 8-10 कार्यकर्ताओं ने गाली-गलौज की। इससे विवाद उपज गया।
बहरहाल, एक तरफ दिल्ली की सीमाओं पर कृषि कानून का विरोध आंदोलन किसान कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ अब भाजपा नेताओं की गांवों में भी शामत आ गई है। ऐसे में पश्चिमी उत्तरप्रदेश में किसानों की राजनीति करने वालों को सरकार की मुखालफत करने का मौका मिल गया है, तो दूसरी तरफ बीजेपी के दिलों की धड़कन बढ़ गई है, क्योंकि आगामी विधानसभा चुनाव में जीत का रास्ता इन्हीं पगडंडियों से होकर निकलता है।