गहने, श्रृंगार तथा महिलाएँ, एक-दूसरे के पर्याय हैं। आश्रमों में रहने वाली वनकन्याओं से लेकर रानी-महारानियों तक गहने और श्रृंगार को लेकर एक अद्भुत आकर्षण देखा जाता रहा है। वनकन्याएँ जहाँ फूलों से बने आभूषण पहना करती थीं वहीं रानियाँ सोने-चाँदी और हीरे-जवाहरातों से खुद को सजाया करती थीं।
खैर... सारे जवाहरात तो नहीं लेकिन यहाँ हम जिक्र करेंगे उस खूबसूरत गहने का जिसके दीवाने कवि और शायर भी रहे हैं। कानों की सजावट के लिए बनाया गया यह गहना झुमका, टॉप्स, बाली और अन्य कई तरह के प्रकारों में महिलाओं के श्रृंगार में चार चाँद लगाता है।
झुमका चाहे बरेली वाला हो या कहीं और का, इसके अंदाज ही अलग हैं। इस एक गहने पर कई फिल्मी गीत लिखे गए और इसे श्रृँगार से लेकर विरह तक का बहाना बना दिया गया। हालाँकि झुमका कानों में पहने जाने वाले आभूषण का एक प्रकार है। इसके अलावा टॉप्स, इयररिंग्स आदि कई प्रकार इसी कड़ी में आते हैं।
फैशन जगत में भी इसे लेकर कई तरह के प्रयोग होते रहते हैं। फिर चाहे वो भारी-भरकम राजसी वैभव वाले कुंदन के झुमके हों, हीरे से जड़े नन्हे दमकते कर्णफूल या फिर आज के ट्रेंडी स्टाइल में बने कलरफुल पंखों के इयररिंग्स, सभी महिलाओं को लुभाते हैं। आजकल खासतौर पर भारी-भरकम गहने केवल शादी-ब्याह तक सिमटकर रह गए हैं।
अब फैशन है नए तरह के क्रिस्टल, स्टोन, व्हाइट मैटल, ब्लैक मैटल, फेदर, डायमंड तथा स्टील के खूबसूरत इयररिंग्स का। वहीं पूरे कान को सजाने के लिए कान के बाहरी हिस्से पर तीन-चार जगह छेद करवाकर छोटी-छोटी बालियाँ या नग के टॉप्स पहने जाते हैं। यदि आप ज्यादा दर्द लेने के मूड में न हों तो 'प्रेस' करके पहने जाने वाले गहने भी एक अच्छा विकल्प हैं।
वेस्टर्न ड्रेसेस के ट्रेंड के चलते आज कानों में पहने जाने वाले आभूषणों की बनावट को लेकर कई प्रयोग हुए हैं। अब युवतियाँ या महिलाएँ केवल झुमकियाँ या साधारण बालियों की बजाय बड़े हीरे से सजे कर्णफूल, भारी-भरकम शैंडेलियर्स तथा अलग सी आकृतियों से सजी लटकन पहनना पसंद करती हैं।
इन अलग सी आकृतियों में आपको जूते-चप्पल से लेकर, कार्टून्स या किसी जानवर का चेहरा, चाँद-सितारे, फलों के गुच्छे जैसी कई चीजें मिल जाएँगी। टीनएजर्स तथा युवतियों में इनका काफी क्रेज होता है। ये न केवल दिखने में सबसे अलग होती हैं बल्कि दाम में भी कम होती हैं। अतः इन्हें आसानी से अपनी पॉकेटमनी से खरीदा जा सकता है।
वैसे भी आजकल सोने-चाँदी के दामों में हो रही बढ़ोत्तरी तथा लूट की घटनाओं के चलते आम महिलाएँ भी आर्टिफिशियल ज्वेलरी पर ज्यादा ध्यान दे रही हैं। यहाँ तक कि बाजार में अब रंग-बिरंगी प्लास्टिक ज्वेलरी भी मिलने लगी है, जिसे आप 'यूज़ एंड थ्रो' की तर्ज पर उपयोग में ला सकती हैं।
इसी तरह मैचिंग ज्वेलरी से लेकर शंख, सीप, बीड्स, लकड़ी, मोती, लाख, कपड़े तथा लेस से बने कान के गहने भी आजकल चलन में आ गए हैं। साधारणतयाः इनका दाम पाँच रुपए से लेकर पाँच सौ रुपए तक हो सकता है। अब कान में झुमके आदि के पहनने के लिए पेंच का होना भी कोई शर्त नहीं रहा। पहनने में आसानी के लिए अब केवल हुक वाले इयररिंग्स भी बड़ी तादाद में बाजार में मौजूद हैं। ये हल्के भी होते हैं तथा आसानी से पहने जा सकते हैं।
हालाँकि आर्टिफिशियल ज्वेलरी के चलन के बावजूद असली ज्वेलरी पहनने वाले शौकीन अपना शौक पूरा करते हैं और ऐसे लोगों के लिए मीना, कुंदन तथा हीरों से जड़े बड़े झुमके, पूरे कान को कवर करते गहने तथा अन्य वैरायटीज बनाई जाती हैं। इनके अलावा एक बड़ा वर्ग एंटीक का शौक रखने वाला भी है जो पुराने जमाने में पहने गए कर्णफूल तथा झुमकों में दिलचस्पी रखता है।
बाजार इन सबकी माँग पूरी करता है। चूँकि फैशन के अनुरूप चलने वाले, ट्रेंडी चीजें पहनने वाले लोगों का प्रतिशत ज्यादा है, यही कारण है कि कान में पहने जाने वाले गहनों के बाजार में भी आपको चलन के मुताबिक चीजें ज्यादा दिखाई देंगी और अब इस मामले में ग्लोबल ट्रेंड के भी शामिल हो जाने के बाद से तो फैशन जगत में काफी नए प्रयोग किए जाने लगे हैं। स्वारोवस्की क्रिस्टल्स तथा जरदोजी से सजे गहने इसका साक्षात प्रमाण हैं।