विश्व विश्व कप 2018 शुरू हो चुका है और इसका रोमांच पूरे चरम पर हैं। कई रोमांचक मुकाबलें इस महाकुंभ में देखने को मिल रहे हैं। मैच के दौरान दोनों टीमों के खिलाडि़यों के अलावा एक और शख्स हमें मैदान पर दिखता हैं जो हाथ में सिटी लिए खिलाडियों को दिशानिर्देश देता है, कभी कभी येलो या रेड कार्ड दिखाता हैं। यह है फुटबॉल रेफरी जो इस गेम की जान होते हैं।
नीदरलैंड के रहने वाले ब्यॉन कायपर्स के पिता भी रेफरी थे, उन्होंने ही ब्यॉन को रेफरी बनने के लिए प्रेरित किया था। ब्यॉन ने राडबाउड यूनिवर्सिटी से बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई भी की है। वह एक सुपरमार्केट के मालिक हैं और अपने होमटाउन में एक बार्बर शॉप भी चलाते हैं।
उजबेकिस्तान के रहने वाले रवशान इरमातोव 2010 और 2014 के विश्व कप में भी वो रेफरी रहे थे। रवशान के पिता भी एक रेफरी थे। रवशान एक खिलाड़ी थे लेकिन चोट ने उनका करियर खत्म कर दिया। उसके बाद उनके पिता ने उन्हें रेफरी बनने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने मना कर दिया और बच्चों को कोचिंग देने लगे। रवशान बताते हैं कि उनके पिता किसी यूथ टीम के इंजार्ज थे और रवशान अपने पिता को टीम संभालने को लेकर मदद कर रहे थे। किसी मैच के दौरान रेफरी नहीं आ पाया तो उनके पिता ने उन्हें ही सीटी पकड़ा दी और कहा कि, ट्राय करो। उसके बाद उन्हें रेफरी के काम में बहुत मजा आने लगा। रवशान फीफा के सबसे एलीट रेफरीस में से एक हैं।