बिलीगिरी रंगास्वामी पहाड़, अभयारण्य बेंगलुरु, कर्नाटक में स्थित है। यह अभयारण्य समुद्र तल से 5091 फीट ऊँचाई पर स्थित है। बिलीगिरी रंगास्वामी पहाड़ 540 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है। दक्षिण और पश्चिम घाट के बीच यह एक महत्वपूर्ण कड़ी है, जहाँ पर अनोखे एवं निराले जीव-जन्तु और रंगीन पक्षी मिलते हैं।
अभयारण्य में विभिन्न प्रकार के वन्य जीव रहते हैं। बी.आर. हिल्स वन्य जीवों को सैलानियों के समक्ष लाती है एवं उनके जीवन से परिचित कराती है। हिरण जलाशय से पानी पीते नजर आते हैं। यह स्थल पर्यटकों के लिए एक रोमांचित कर देने वाला स्थल है। जंगल में पैदल चलते हुए जानवरों के फोटो लेने का आनन्द लेते हैं। पर्यटक भी इस अभयारण्य में पशु-पक्षी और वनस्पतियों के बीच प्राकृतिक रूप से सुरक्षित रहते हैं।
दूरबीन से पेड़ों के घने हरे पत्तों के बीच बैठकर पर्यटक चहकते पक्षी और चहकती हुई हल्दी रंग की बुलबुल देख सकते हैं। वन्य फोटोग्राफर 19 वर्षीय रामनाथ चंद्रशेखर के साथ बिलिगीरी रंगास्वामी पहाड़ों के वन्य जीवों के बारे में हमने बात की। उन्होंने बी.आर. हिल्स के वन्य जीवों के कई फोटोग्राफ लिए हैं।
चर्चा के दौरान उन्होंने बताया -
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* बी आर अभयारण्य में सुरक्षित वन्य जीवों के जीवन के बारे में विस्तार से बताएँ - इस अभ्यारण्य में 350 प्रकार के पक्षी पाए जाते हैं। विभिन्न प्रकार के हाथी, शेर, तेंदुआ आदि रहते हैं। पक्षियों में लम्बी पूँछ वाले पक्षी ड्रोंगो, कलगीदार गिद्ध, मालाबार के ‘विसलिंग-थ्रश’ पक्षी देख सकते हैं। अधिकतर इस स्थान पर मोटी चमड़ी वाले जानवर मिलते हैं। हिरण, गौर (जंगली भैंसा), काले तेंदुआ यहाँ मिलते हैं। वह दृश्य बड़ा अनोखा होता है जब चिंकारा इस अभयारण्य में नज़र आतें हैं, क्योंकि पृथ्वी से अब यह जीव विलुप्त होते जा रहे हैं।
* बी.आर अभयारण्य के अपने अनुभव बताएँ? - जिप्सी वाहन में सफर के दौरान शेर और चीता के चित्र लेते समय देखा था कि हम उनके करीब जाकर फोटो नहीं ले सकते। कभी-कभी यह भी देखा कि हाथियों के चित्र लेते समय मुझे बहुत समस्याओं का सामना करना पड़ा जब हाथी हमें वहाँ से भगाने की कोशिश कर रहे थे। यदि किसी जंगली जानवर के चित्र आप लेना चाहते हैं तो उनके व्यवहार का ध्यानपूर्वक निरीक्षण करें। यहाँ हाथी मेरे पीछे पड़ गए थे। सतर्कतापूर्वक मैं उस स्थान से हट गया। पद यात्रा के दौरान वन में हमें अनेक प्रकार के जंगली जानवर मिले जैसे शेर और चीता जिनके चित्र कैमरे में मैंने लिए हैं।
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* चित्रों के माध्यम से आप आम जनता को जागरूक करना चाहते हैं। क्या आप समझते हैं कि इससे कुछ फर्क पड़ेगा? यदि हाँ तो कैसे? - आम जनता को वन्य जीवों के विषय में जागरूक करना चाहिए एवं उन्हें वन्य जीवों को बचाने के लिए वन्यजीवन परियोजना में भाग लेना चाहिए। - मैंने फिल्म एवं चित्रों के माध्यम से जागरूकता बढ़ाने की कोशिश की है। मैंने कई फिल्में निर्देशित की हैं जिनमें अवैध तरीके से जानवरों का शिकार करते हुए दिखाया है एवं खनन कैसे किया जाता है, इसे दर्शाया है। फलस्वरूप हमारे पर्यावरण पर इन गैर कानूनी क्रियाओं का क्या प्रभाव पड़ता हैं इसके बारे में जानकारी दी है। - देखा गया हैं कि साधारण जनता में ऐसी फिल्मों का प्रभाव ज्यादा पड़ता है। फिल्म के प्रति उनकी बहुत अधिक प्रतिक्रिया हमे मिली। बिलीगिरी अभयारण्य में मैंने 17 शेर देखे। जिनके चित्र मैंने लिए हैं। वन्य जीवों के प्रति प्रेम भारत में बहुत कम देखा गया है जबकि विदेशों में यह अधिक है। साँपों के राजा कोबरा की रक्षा वहाँ के गाँववासी करते हैं।
Q4 आप स्वयं युवा हैं, साथी युवाओं को आप क्या संदेश देना चाहेंगे? - नौजवानों को वन्य जीवन का महत्व समझना चाहिए एवं किस प्रकार से जानवरों को सुरक्षित रखना चाहिए इस बात को उन्हें सीखना चाहिए। पेड़ों को मत काटिए। जानवरों का शिकार मत कीजिए। इन प्राकृतिक संसाधनों को नष्ट न करते हुए उनकी सुरक्षा करें। वन्य को सुरक्षित रखे इस प्रयास से भी जानवर और उनकी सीमित जनसंख्या सुरक्षित रहेगी। युवा वर्ग स्वयंसेवी संगठनों से जुड़ कर पर्यावरण के लिए काम कर सकते हैं।