राजस्थान वन्यजीवन के विभिन्न स्वरूपों को प्रदर्शित करने वाला स्वर्ग है। इस राज्य की स्थल आकृति इस तरह की है कि यहाँ बंजर रेगिस्तान से लेकर कँटीली झाड़ियों के जंगल, चट्टानें और बीहड़ से लेकर उपजाऊ जमीन और हरे-भरे जंगल भी हैं।
इनमें से प्रत्येक तरह के क्षेत्र में विभिन्न किस्म के प्राणी और पशु-पक्षी पाए जाते हैं। राजस्थान में दो नेशनल पार्क और एक दर्जन से अधिक अभयारण्य तथा दो संरक्षित क्षेत्र हैं। पुरानी अरावली पर्वतमाला के सूखे जंगलों में सरिस्का नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व स्थित है।
इस पार्क में मुख्य रूप से बाघ, तेंदुआ, लकड़बग्घा, जंगली बिल्ली, साही, साँभर, चिंकारा, नीलगाय और चार सींगों वाले बारहसिंगे पाए जाते हैं। वर्ष 1955 में इसे एक अभयारण्य घोषित किया गया था और 1979 में इसे प्रोजेक्ट टाइगर के अंतर्गत टाइगर रिजर्व बनाया गया था।
यह पार्क जयपुर से मात्र 110 किमी और दिल्ली से 200 किमी की दूरी पर है। जंगल से भरी घाटी को उजाड़ पर्वतमालाओं ने घेर रखा है। पार्क 800 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है, जबकि 498 वर्ग किमी इसका मुख्य भाग है।
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इस पार्क में बहुत से मंदिरों के अवशेष भी हैं। यहीं पर ऐतिहासिक कनकवाड़ी किला मौजूद है जहाँ कभी सम्राट औरंगजेब ने अपने भाई दारा शिकोह को कैद करके रखा था।
एक समय सरिस्का अलवर के राजपरिवार का शिकारगाह था। यहाँ पर अलवर के महाराजाओं ने एक राजमहल बनवाया था जिसे अब होटल में बदल दिया गया है।
इस होटल में रहकर कोई भी जलाशयों के सामने रह सकता है जहाँ से वन्य प्राणियों और जीवों को देखा जा सकता है और उनकी तस्वीरें खींची जा सकती हैं। इसके लिए स्लीपिंग बैग और कुछ खाने की सामग्री की जरूरत होती है।
सबसे अच्छा मौसम- हालाँकि इस अभयारण्य में सालभर पर्यटक आते हैं, लेकिन जुलाई-अगस्त का मौसम ऐसा समय होता है जब पशु-पक्षी ऊँचे स्थानों पर चले जाते हैं। फिर भी नवंबर और जून का समय सबसे अच्छा होता है।