हिन्दी कविता : चमकेगा मेरा कल...

संयोग कहे या कर्मों का फल।
 
रहा विजेता हुआ सफल।


 
पहचान अनोखी बन चुकी है।

चमकेगा अब मेरा कल।
 
अभिमान नहीं स्वाभिमानी हूं।

करता नहीं हूं उथल-पुथल।
 
आनंद संग मैं उत्सव करता।

लोगों से मिलता है बल।


ऐसी और खबरें तुरंत पाने के लिए वेबदुनिया को फेसबुक https://www.facebook.com/webduniahindi पर लाइक और 
ट्विटर https://twitter.com/WebduniaHindi पर फॉलो करें। 
 

वेबदुनिया पर पढ़ें