गणेशजी को आपने हमेशा गजमुख में ही देखा होगा। गज अर्थात हाथी के मुख के समान मुख। परंतु तमिलनाडु में गणपति जी का एक ऐसा मंदिर है जहां पर उनका मुख नर के समान है। नर अर्थात मनुष्य के समान ही उनका मुख है। माना जाता है कि यह विश्व का एक मात्र ऐसा मंदिर है, जहां पर प्रतिदिन हजारों की संख्या में दर्शन करने आते हैं।
दरअसल यह मंदिर तमिलनाडु के कूटनूर या कूथनूर से लगभग 2 किलोमीटर दूर तिलतर्पणपुरी नामक स्थान पर मौजूद है जिसे आदि विनायक मंदिर के नाम से जाना जाता है। तिलतर्पणपुरी दो शब्दों के मेल से बना है तिलतर्पण और पुरी। यानी पूर्वजों का समर्पित शहर। यहां पर विनायक गणेशजी के साथ ही पूर्वजों की शांति के लिए पूजा भी की जाती है। स्थानीय लोग मानते हैं कि यहां पर भगवान श्रीराम ने अपने पूर्वजों की शांति के लिए पूजा की थी।
यहां पर सरस्वती मंदिर है जिसके परिसर में भगवान शिव का भी मंदिर बना है। इस मंदिर से बाहर निकलते ही श्रीगणेश का नरमुखी मंदिर स्थित है। आदि विनायक मंदिर में गणपति का इंसान का चेहरा होने का कारण यही है कि भगवान का गजमुख लगने से पहले उनका मुख इंसान का था, जिस वजह से उनकी पूजा इस रूप में यहां की जाती है। गणेश की मूर्ति में एक कुल्हाड़ी, रस्सी, एक मोदक और ग्रेनाइट से बना कमल है।