Ganesh Visarjan 2025: गणेश विसर्जन के बाद पूजन सामग्री का क्या करें? जानिए सही तरीका

WD Feature Desk

बुधवार, 3 सितम्बर 2025 (16:45 IST)
Ganesh Visarjan 2025: गणेश उत्सव की 10 दिवसीय भक्ति और उल्लास के बाद, अनंत चतुर्दशी पर गणपति बप्पा की विदाई का क्षण आता है। इस विदाई के बाद घर में बची हुई पूजा सामग्री, जैसे कलश, नारियल और अन्य वस्तुएं, भक्तों के मन में एक सवाल खड़ा करती हैं। इन पवित्र वस्तुओं को कैसे संभालना चाहिए? धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इन सामग्रियों को सही तरीके से विसर्जित या उपयोग करना बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि इनमें भगवान गणेश की कृपा और ऊर्जा समाहित होती है। आइए जानते हैं गणेश विसर्जन के बाद हर पूजन सामग्री का क्या करना चाहिए।

कलश: पूजा के बाद कलश में बचे जल को अपने घर में छिड़कना बहुत शुभ माना जाता है। इससे घर की नकारात्मकता दूर होती है। आप इस पवित्र जल को घर के पौधों में भी डाल सकते हैं। इसके बाद, आप कलश को साफ करके उसमें चावल या कोई अन्य अनाज भरकर अपनी रसोई में रख सकते हैं, जो समृद्धि का प्रतीक है। कुछ लोग इस कलश का उपयोग तुलसी के पौधे को जल चढ़ाने के लिए भी करते हैं।

नारियल: नारियल को प्रसाद के रूप में ग्रहण करना सबसे उत्तम माना जाता है। इसे परिवार के सदस्यों और मित्रों के बीच बाँटकर खाया जा सकता है। अगर आप इसे उपयोग नहीं करना चाहते हैं, तो इसे बहते जल में सम्मानपूर्वक विसर्जित करें। आप चाहें तो नारियल को एक लाल कपड़े में बाँधकर अपने घर के मंदिर में या किसी वृक्ष की जड़ में भी रख सकते हैं। सूखे नारियल का इस्तेमाल बाद में किसी अन्य पूजा में या रसोई में भी किया जा सकता है।

दीपक की जली हुई बाती: पूजा में जली हुई बाती को कभी भी कूड़ेदान में नहीं फेंकना चाहिए। इसे पवित्र बहते जल में प्रवाहित किया जा सकता है या फिर इसे तुलसी के पौधे के पास की मिट्टी में दबा देना चाहिए। कुछ लोग बाती की राख को जमा करके उसका उपयोग तिलक लगाने या बुरी नजर उतारने के लिए भी करते हैं।

सुपारी और सिक्के: पूजा में इस्तेमाल की गई सुपारी को आमतौर पर किसी ब्राह्मण को दान कर दिया जाता है या बहते पानी में विसर्जित कर दिया जाता है। अगर आप धन संबंधी समस्याओं से परेशान हैं, तो एक सुपारी को लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी या अपने घर के धन स्थान पर रखना बहुत शुभ माना जाता है। वहीं, कलश में रखे सिक्के को भी अपनी तिजोरी में रखना चाहिए, क्योंकि यह गणेश जी के आशीर्वाद का प्रतीक है।

जौ (जवारे) और दूर्वा: पूजा में इस्तेमाल किए गए जौ (जवारे) को सम्मानपूर्वक किसी पवित्र नदी में प्रवाहित करना चाहिए या पौधों में डाल देना चाहिए। यह अन्न का सम्मान दर्शाता है। वहीं, गणेश जी की प्रिय दूर्वा को भी तिजोरी में रखना बहुत शुभ माना जाता है।
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