आज 2 सितंबर 2019 को श्री गणेश चतुर्थी है। जिसे हम गणेशोत्सव, बड़ी विनायक चतुर्थी, गणेश चौथ और श्री गणेश स्थापना भी कहते हैं। आज से 10 दिन तक श्री गजानन हमारे घर में विराजित होंगे और हर दिन हम उनका सत्कार करेंगे। गणेश चतुर्थी को भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।
भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की इस चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जा रहा है।
गणेश चतुर्थी पर बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता गणपति का घर में स्वागत किया जाता है। 10 दिनों के गणेश चतुर्थी से अनंत चौदस तक चलने वाला महोत्सव हर प्रदेश में, विशेषकर महाराष्ट्र में धूमधाम से मनाया जाता है।
कौन से मंगल मुहूर्त में करें श्री गणेश को स्थापित
द्विस्वभाव लग्न कन्या में प्रात: 7:10 बजे से सुबह 9:26 तक,
चर लग्न तुला में 9:26 से 11:44 तक या
फिर धनु द्विस्वभाव लग्न दोपहर 2:03 से 4:07 बजे तक
अथवा चर लगन मकर में शाम 4:08 बजे से 5:50 बजे तक के बीच में
गणेश जी का जन्म भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी दोपहर के समय हुआ था। इस बार अतिशुभ अभिजीत दोपहर काल मुहूर्त दिन में 12 से 12 बजकर 55 मिनट तक रहेगा।
आप गाय के गोबर, मिट्टी, तांबे, चांदी आदि की मूर्ति या प्रतिमा अपनी श्रद्धानुसार स्थापित कर सकते हैं। मूर्ति स्थापना के पश्चात भगवान गणेश को दूध, दही, घी, चीनी, शहद के पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराने से बाद तिलक करें। इत्र, कुंडल, माला पहनाकार आभूषण से सजाएं। धूप या घी की ज्योति जलाकर मंत्र उच्चारण के बाद आरती करें। भोग लगाकर प्रसाद लोगों के बीच बांटें। मोदक भगवान गणेश को बहुत प्रिय है।
गणेश चतुर्थी पर चंद्र दर्शन की मनाही होती है। परिवार की परंपरा के अनुसार 1 दिन, डेढ़ दिन, 3 दिन, 5 दिन, 7 दिन, 9 दिन या 10 दिन गणेश स्थापना कर सकते हैं। 10वें दिन अनंत चतर्दशी का उत्सव गणेश विसर्जन का होता है।