गणेश उत्सव के चलते घरों में प्रसाद की तैयारी चल रही हैं और लंबोदर के उदर को तृप्त करने के लिए विविध पकवानों की सूची बन रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे प्रिय गणपति को भोग में सर्वाधिक क्या और क्यों प्रिय है। गणेशजी को मोदक यानी लड्डू काफी प्रिय हैं। इनके बिना गणेशजी की पूजा अधूरी ही मानी जाती है। शास्त्रों के अनुसार मोदक का अर्थ होता हैं मोद (आनन्द) देने वाला, जिससे आनंद मिलता है।
गणपति अथर्वशीर्ष में लिखा है...
“यो मोदकसहस्त्रेण यजति स वांछितफलमवाप्नोति।” अर्थात जो भक्त गणेश जी को एक हजार मोदक/लड्डुओं का भोग लगाता है गणेश जी उसे मनचाहा फल प्रदान करते हैं यानी उनकी मुरादें पूरी होती हैं।
गुड़ के मोदक का उल्लेख है गणेश जी की स्तुतियों में
गणेशजी को गुड भी प्रिय है। तभी तो भगवान गणेश की सभी भक्ति आरतियों में से एक लोकप्रिय आरती है- गणपति की सेवा मंगल मेवा, जिसमें मोदक के भोग का महत्व बताया गया है। स्तुति की पंकितयाँ इस प्रकार है-
गुड़ के मोदक भोग लगत हैं, मूषक वाहन चढ्या सरैं।
सौम्य रूप को देख गणपति के, विघ्न भाग जा दूर परैं॥
ज्ञान, मिठास और आनंद का प्रतीक
भगवन गणेश को मोदक इसलिए प्रिय है क्यूंकि मोदक का स्वरुप ज्ञान, मिठास और आनंद का प्रतीक माना जाता है। इसके अलावा मोदक का गुल आकर भी पूर्णता का प्रतीक है, जो गणेश जी की बुद्धिमत्ता, ज्ञान और जीवन के हर पहलू में संतुलन और संयम को दर्शाता है। ऐसे प्रसाद को जब गणेशजी को अर्पण किया जाए तो सुख की अनुभूति होना स्वाभाविक है। एक दूसरी व्याख्या के अनुसार जैसे ज्ञान का प्रतीक मोदक यानी मीठा होता है, वैसे ही ज्ञान का प्रसाद भी मीठा होता है। मोदक को शुद्ध आटा, घी, मैदा, खोआ, गुड़, नारियल से बनाया जाता है। इसलिए यह स्वास्थ्य के लिए गुणकारी और तुरंत संतुष्टिदायक होता है। यही वजह है कि इसे अमृततुल्य माना गया है। मोदक के अमृततुल्य होने की कथा पद्म पुराण के सृष्टि खंड में मिलती है।
गणेश जी को शास्त्रों और पुराणों में मंगलकारी माना गया है। मोदक के प्रति गणेश जी का यह प्रेम यूं ही नहीं है। मोदक गणेश जी के इसी व्यक्तित्व को दर्शाता है। मोदक का अर्थ होता है आनंद देने वाला। गणेश जी मोदक खाकर आनंदित होते हैं और भक्तों को आनंदित करते हैं।