गणगौर 2022 : मां पार्वती को प्रसन्न करेंगे 10 उपाय, 5 मंत्र और 16 श्रृंगार के दान

सोमवार, 4 अप्रैल 2022 (15:10 IST)
Gangaur 2022: चैत्र शुक्ल तृतीया का दिन गणगौर पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस बार गणगौर का पर्व 4 अप्रैल को मनाया जा रहा है। आओ जानते हैं माता पार्वती को प्रसन्न करने के 10 उपाय, 5 मंत्र और 16 श्रृंगार के दान।
 
 
मां पार्वती को प्रसन्न करेंगे 10 उपाय- Gangaur Ke Upay :
 
1. इस दिन माता गौरी को सुहाग की और भगवान शिव को सफेद वस्त्र अर्पित करें। पूजा के बाद बाद भोग लगाएं और फिर आरती करें। इस उपाय से घर परिवार में सुख-समृद्धि में बढ़ोतरी होती है।
 
2. माता पार्वती को मालपुआ बहुत पसंद है। उन्हें भोग के रूप में अर्पित करके उसका दान करने से सभी तरह की समस्याओं का समाधान हो जाता है।
 
3. माता गौरी को शक्कर का भोग लगाकर उसे दान करने से लंबी आयु प्राप्त होती है। जबकि शिवजी पर दूध चढ़ाकर दान करने से सभी प्रकार के दु:खों से छुटकारा मिलता है। 
 
4. इस दिन लाल एवं सफेद आंकड़े के फूल को भगवान शिव के समक्ष अर्पित करके इसी से उनका पूजन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
 
5. इस दिन माता पार्वती को घी का भोग लगाने तथा इसका दान करने से सभी तरह के रोग और कष्टों से छुटकारा मिलता है।
 
6. इस दिन अलसी के फूलों से शिव का पूजन करने से मनुष्य भगवान विष्णु को प्रिय होता है।
 
7. इस दिन भगवान शिव को चमेली के फूल अर्पित से वाहन सुख की प्राप्त होती है। 
 
8. विवाह में देर हो रही है तो इस दिन मां गौरी और भगवान शंकर का पूजन जरूर करें। ये पर्व मनचाहे वर और उत्तम जीवनसाथी की प्राप्‍ति के लिए बहुत शुभ और मंगलकारी माना जाता है।
 
9. विवाहित महिलाएं पति से 7 जन्मों का साथ, स्नेह, सम्मान और सौभाग्य पाने के लिए इस दिन व्रत रखती हैं। 
 
10. इस दिन व्रत रखने से कुंवारी कन्या को उत्तम पति मिलता है और सुहागिनों का सुहाग अखंड रहता है।
 
 
गणगौर के 5 मंत्र- Gangaur Mantra :
 
1. गणगौर पूजा के दौरान ऊँ उमामहेश्वराभ्यां नमः मंत्र का जाप करते रहें।
 
2. मंत्र: या देवी सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
अर्थ: हे माँ! सर्वत्र विराजमान और माँ गौरी के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। हे माँ, मुझे सुख-समृद्धि प्रदान करो।
 
3. ॐ महा गौरी देव्यै नम: मंत्र की इक्कीस माला जाप करें।
 
4. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्ये नम:।
 
5. श्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बर धरा शुचि:।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
 
Gangaur isar and gauri
16 श्रृंगार की समग्री करें दान- 16 Shringar :
1. बिंदी : सुहागिन महिलाओं द्वारा कुमकुम की बिंदी को माथे पर लगाना पवित्र माना जाता है। यह गुरु के बल को बढ़ती है। 
 
2. सिंदुर : सिंदुर से मांग भरी जाती है। ऐसा माना जाता है कि इससे पति की आयु वृद्धि होती है।
 
3. काजल : काजल से आंखों की सुंदरता बढ़ जाती है और इससे मंगलदोष भी दूर होता है।
 
4. मेहंदी : मेहंदी से हाथों की सुंदरता बढ़ती है। मेहंदी लगाना शुभ होता है। कहते हैं कि इससे पति का प्यार मिलता है।
 
5. चूड़ियां : चूड़ियां सुहाग का प्रतीक है। लाल रंग खुशी का और हरा रंग समृद्धि का प्रतीक है। 
 
6. मंगल सूत्र : मंगल सूत्र भी सुहाग का प्रतीक माना जाता है। इसके काले मोती बुरी नजर से बचाते हैं। इसके अलावा गले में नौलखा हार या कहें कि स्वर्णमाला भी पहनते हैं। 
 
7. नथ : इसे नथनी भी कहते हैं। नाक में चांदी का तार या लौंग पहना जरूरी होता है। इससे जहां सुंदरता बढ़ती हैं वहं बुध का दोष भी दूर होता है।
 
8. गजरा : इसे वेणी या चूड़ा मणि भी कहते हैं। यह बालों में सुंदरता और सुगंध के लिए लगाया जाता है। 
 
9. मांग टीका : यह माथे के बीचोबीच पहना जाता है। यह विवाह के बाद शालीनता और सादगी से जीवन बिताने का प्रतीक है।
 
10. झुमके : इसे कुंडल और बाली भी कहते हैं। कानों में स्वर्ण बाली या झुमके पनहने से राहु और केतु का दोष दूर होता है। यह इस बात का भी प्रतीक है कि ससुराल वालों की बुराई करने और सुनने से दूर रहना।
 
11. बाजूबंद : यह सोने या चांदी का सुंदर सा कड़े की आकृति का जेवर रहता है जो बाजू में पहना जाता है। इससे परिवार के धन और समृद्धि की रक्षा होती है।
 
12. कमरबंद : इसे तगड़ी भी कहते हैं। यह कमर में पहना जाता है। यह इस बात का प्रतीक है कि सुहागिन आप अपने घर की मालकिन है। यह साड़ी को संभालकर भी रखता है। 
 
13. बिछिया : इसे बिछुआ भी कहते हैं। यह पैरों के अंगुली में पहनी जाती है। यह सूर्य और शनि के दोष दूर करती है और यह इस बात का प्रतीक भी है कि सुहागिन अब हर समस्याओं का साहस के साथ सामना करेगी।
 
14. पायल : इसे पाजेप भी कहते हैं। पायल और बिछिया दोनों ही चांदी की ही पहनते हैं।
 
15. अंगूठी : विवाह के पूर्व यह मंगनी के दौरान पति अपनी पत्नी को पहनाता है। 
 
16. स्नान- उबटन : श्रृंगारों का प्रथम चरण है स्नान। कोई भी और श्रृंगार करने से पूर्व नियम पूर्वक स्नान करते हैं। स्नान में शिकाकाई, भृंगराज, आंवला, उबटन और अन्य कई सामग्रियां मिलाते हैं। तब वस्त्र धारण करते हैं। दुल्हन हैं तो लाल रंग का लहंगा पहनती है, जिसमें हरे और पीले रंग का उपयोग भी होता। आप उबटन का दान कर सकते हैं।
 
इसके अलावा आजकल नेलपेंट और लिपस्टिक का भी प्रचलन हो चला है। हालांकि पौराणिक समय में और भी कई तरह के 16 श्रृंगार होते थे जिसमें अधरों और नख का रंगना, तांबूल आदि कई और भी श्रृंगार की सामग्री शामिल थी।

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