2. व्रत रखने का महत्व : इस दिन सुहागिनें दोपहर तक व्रत रखती हैं और नाच-गाकर, पूजा-पाठ कर हर्षोल्लास से यह त्योहार मनाती हैं। सुहागिनें व्रत धारण करने से पहले मिट्टी की गौरी जिसे रेणुका कहते हैं, की स्थापना करती है एवं उनका पूजन करती हैं।
3. कब से प्रारंभ होती है पूजा : होली के दूसरे दिन (चैत्र कृष्ण प्रतिपदा) से जो कुमारी और विवाहित बालिकाएं, नवविवाहिताएं प्रतिदिन गणगौर पूजती हैं, वे चैत्र शुक्ल द्वितीया (सिंजारे) के दिन किसी नदी, तालाब या सरोवर पर जाकर अपनी पूजी हुई गणगौरों को पानी पिलाती हैं और दूसरे दिन सायंकाल के समय उनका विसर्जन कर देती हैं।
5.कैसे करते हैं पूजा : स्नान के बाद भगवान शिव के साथ ही माता पार्वती, भगवान गणेश, कार्तिकेय स्वामी और नंदी को गंगाजल या पवित्र जल अर्पित करें। जल अर्पित करने के बाद शिवलिंग पर चंदन, चावल, बिल्वपत्र, आंकड़े के फूल और धतूरा सहित अन्य पूजन सामग्री चढ़ाएं। दूध, दही, शहद, घी, शकर, ईत्र, चंदन और केसर भी अर्पित कर सकती हैं। इन सभी चीजों को एक साथ मिलाकर या एक-एक चीज शिवलिंग पर चढ़ा सकते हैं।