कैसी हालत है नगमा की मेरठ में...

सभी शहरों की तरह मेरठ में भी नरेंद्र मोदी के ही बड़े-बड़े होर्डिंग चारों तरफ लगे हुए हैं। पूरे देश में समझ ही नहीं पड़ता कि भाजपा की तरफ से कोई और चुनाव में उतरा भी है या नहीं। कहीं-कहीं पर जरूर मेरठ के भाजपा उम्मीदवार राजेंद्र अग्रवाल का छोटा-मोटा बोर्ड दिखाई देता है, मगर भाजपा की रणनीति यही ज़ाहिर करना है कि मोदी ही सभी सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं। झंडे बैनर के मामले में तो भाजपा अव्वल नंबर है।
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मेरठ में घुसते ही भाजपा के झंडे दिखना शुरू हो जाते हैं। दूसरे नंबर पर सपा के झंडे और होर्डिंग नज़र आते हैं। सपा उम्मीदवार हैं शाहिद मंजूर। बसपा उम्मीदवार हैं हाजी शाहिद अखलाक। आम आदमी पार्टी किसी दौड़ में तो यहां नहीं है, मगर मेहनत कर रही है। उम्मीदवार हैं मेजर डॉ हिमांशु।

नग़मा इस चुनाव में बिल्कुल पैसा खर्च नहीं कर रहीं। अपनेराम को मेरठ में घूमते दोपहर से शाम हो गई है, मगर कांग्रेस का एक भी झंडा, एक भी बैनर, एक भी पोस्टर कहीं नज़र नहीं आया, चुनाव दफ्तर को छोड़कर। चुनाव दफ़्तर उनका पॉश एरिया साकेत में है। पूर्व विधायक हरेंद्र अग्रवाल ने अपना बड़ा सा मकान चुनाव दफ्तर में बदल दिया है।

नग़मा को स्थानीय मीडिया ऐसे ही खूब कवरेज दे रहा है और शायद नग़मा समझ रही हैं कि इतना ही काफी है। 28 मार्च तक नग़मा ने अपना जो चुनावी खर्च आयोग को बताया है, वो केवल पौने दो लाख है। सपा उम्मीदवार शाहिद मंजूर उनके मुकाबले साढ़े चौदह लाख का खर्च दिखा चुके हैं।

भाजपा उम्मीदवार के लिए भी कम नहीं हैं मुश्किलें... पढ़ें अगले पेज पर...


अब सवाल यह है कि यहां के लोगों का कहना क्या है। नग़मा के लिए भीड़ भले जुट जाए पर लोगों का मानना है कि वे तीसरे नंबर पर भी आ जाएं तो ग़नीमत रहेगा। भाजपा उम्मीदवार राजेंद्र अग्रवाल यहां से सांसद हैं और पार्टी ने उन्हें एक बार फिर टिकट दिया है।

मोदी फैक्टर के बावजूद जो चीज़ उनके खिलाफ जा रही है, वो है पांच साल काम न करना और उसके कारण बदहाल मेरठ। मुज़फ्फर नगर दंगों के नायक सरगना विधानसभा के विधायक संगीत सोम भी इस बार टिकट चाहते थे, नहीं दिया गया। उनके समर्थक राजेंद्र अग्रवाल को हराने में लगे हैं। सपा ताकत से चुनाव लड़ रही है और जातीय समीकरण उसके साथ जा सकते हैं।

साढ़े 17 लाख मतदाताओं में साढ़े पांच लाख मुस्लिम हैं। दलितों और पिछड़ों का भी बड़ा हिस्सा है। फिलहाल तो कांटे का मुकाबला भाजपा और सपा में है। नगमा और बसपा उम्मीदवर हाजी शाहिद अखलाक में तीसरे नंबर के लिए मुकाबला है। नग़मा खुद बाहरी हैं। स्थानीय कार्यकर्ता उनके साथ नहीं हैं। जो हैं वो फोटो खिंचाने के लिए उन्हें अपने घर ले जाते हैं। वे जहां जाती हैं, भीड़ जरूर लग जाती है, मगर लोगों का कहना है कि वे तमाशबीन होते हैं, वोटर नहीं।
चित्र सौजन्य : दीपक असीम

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