मुलायम को तो '....' पड़नी चाहिए...

शनिवार, 12 अप्रैल 2014 (13:57 IST)
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यहां झांसी के ओम शांति नगर में उमा भारती रह रही हैं। मकान नंबर 54 । यह घर है भाजपा नेता राजीवसिंह का। यहीं से वे रोज़ाना प्रचार के लिए निकलती हैं। रुटीन फिक्स है। सुबह दस के पहले वे किसी से नहीं मिलतीं। नहाती हैं, तैयार होती हैं। उनका बेडरूम इस डुपलेक्स में ऊपर की मंजिल पर है। नीचे बाबा रामदेव के कार्यकर्ता मिलने आए हैं।

वे कहते हैं कि एक बार हमारा कार्ड उन तक पहुंचा दो। उनका सचिव कहता है कि मुझे उन्हें डिस्टर्ब करने की इजाजत नहीं है। उनसे इंतज़ार करने को कहा जाता है। मामला दरअसल यह है कि बाबा रामदेव 21 को झांसी आ रहे हैं। वे चाहते हैं कि एक सभा (उमा भारती के खर्च से) इस तरह हो कि चुनाव आयोग को भी तकलीफ न हो और बाबा रामदेव उमा भारती के पक्ष में प्रचार भी कर दें।

आखिरकार उमा भारती नीचे आती हैं और बंद कमरे में आधा घंटा चर्चा होती है। निकलते समय बाबा रामदेव के कार्यकर्ता संतुष्ट हैं। उमा भारती ने ऐसा मामला जमा दिया है कि सब हो जाएगा। अब जो लोग उमा भारती से बात करना चाहते हैं, वे न्यूज़ चैनल वाले हैं। वे एक खास मामले में बाइट लेने आए हैं। मुलायमसिंह ने कहा है कि बलात्कारियों को फांसी नहीं होनी चाहिए। इस पर उमा भारती को अपनी राय देना है।

उमा भारती इस विषय पर कहती हैं कि खुद मुलायम के परिवार की औरतों को इस पर ऐतराज होना चाहिए। वे और भी बहुत सी कड़ी बातें बोलती हैं। अपनेराम के मन में आता है कि पूछे- क्या आसाराम को भी फांसी होनी चाहिए?...मगर अपनेराम को उमा के काफिले के साथ दूर तक जाना है और कार्यकर्ताओं व उमा भारती की सद्‍भावना के बिना ये संभव नहीं होगा। इसलिए दिल का सवाल दिल में ही रह गया है।

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फिर चैनल वाला पूछता है कि नरेंद्र मोदी ने अपनी पत्नी को छोड़ा इस बारे में...। उमा भारती कहती हैं कि इस सवाल का जवाब तो आपको नरेंद्र मोदी से ही लेना चाहिए। चैनल वाला अपनी लटकन-झटकन लपेटता है, तो उमा भारती कहती हैं वो नरेंद्र मोदी वाली बाइट मत दिखाना। चैनल वाला हंसकर कहता है- दीदी अपने को तो बस मुलायम से मतलब था...। कैमरे बंद हो जाने से उमा भारती कुछ सहज हुई हैं। मगर फिर भी सुनिश्चित करती हैं कि कैमरे बंद तो कर दिए हैं।

चैनल वाला भरोसा दिलाता है कि कैमरे बंद हैं। फिर उमा उसे बुला कर कहती हैं, मुलायम को तो ...पड़नी चाहिए। (उमा भारती ने जिस शब्द का उपयोग किया, उसका यहां उल्लेख करना उचित नहीं है) फिर खुद ही ठहाका लगाकर हंसती हैं। कार्यकर्ता भी हंसी में शामिल हैं। उमा भारती चैनल वाले से पूछती हैं- तुझे 'इस शब्द' का फुलफार्म तो पता है। चैनल वाला झेंपकर हां में जवाब देता है और मन ही मन सोचता है कि काश इसे मैं कवर कर पाता। इसी मौके पर अपनेराम फोटो खींचते हैं। उमा भारती अपनेराम को चुनाव आयोग का कारकून समझती हैं। काफिले में और गांव में सभा के दौरान वे अपनेराम की तरफ इशारा करके कहती हैं कि आजकल आयोग हर बात की खबर रखता है। चलो ऐसा ही सही...

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