अहमदाबाद। भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने गांधीनगर लोकसभा सीट से नामांकन भरने से पहले यहां कहा कि उन्होंने गांधीनगर से चुनाव नहीं लड़ने की बात कभी नहीं की। आडवाणी ने नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में नामांकन पत्र दाखिल किया।
आडवाणी गांधीनगर सीट से 5 बार सांसद रह चुके हैं। आडवाणी के नरेन्द्र मोदी से कथित मतभेदों के कारण भोपाल से चुनाव लड़ने की इच्छा जताने से उठे विवादों के संबंध में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर में उन्होंने कहा कि मैंने कभी भी गांधीनगर से चुनाव नहीं लड़ने की बात नहीं कही।
यह पूछे जाने पर कि क्या वे गांधीनगर से खड़े होकर खुश हैं? उन्होंने कहा कि बिलकुल खुश हूं। आखिरकार, गांधीनगर और गुजरात के साथ मेरे संबंध यहां से चुनाव लड़ने के साथ शुरू नहीं हुए हैं। ये संबंध भारत की आजादी से जुड़े दुर्भाग्यपूर्ण पहलू (विभाजन) से शुरू हुए। उनके गांधीनगर के बजाए भोपाल को कथित प्राथमिकता देने के बारे में पूछे जाने पर आडवाणी ने कहा कि नहीं, यह पूरी तरह सच नहीं है। भोपाल से भी खड़े होने के लिए मध्यप्रदेश की ओर से काफी मजबूत अनुरोध था। इस सीट के लिए 30 अप्रैल को चुनाव होगा।
आडवाणी ने पहले गांधीनगर के बजाए मध्यप्रदेश के भोपाल से चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की थी लेकिन उन्होंने बाद में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और पार्टी के हस्तक्षेप के बाद गांधीनगर से चुनाव लड़ने का निर्णय लिया।
पार्टी और संघ का कहना था कि यदि आडवाणी गुजरात से चुनाव नहीं लड़ेंगे तो इससे गलत संदेश जाएगा और उन्हें उसी सीट से चुनाव लड़ना चाहिए जिसका वे पिछले कई वर्षों से प्रतिनिधित्व करते आए हैं।
आडवाणी ने कहा कि मेरे पिता कुछ समय के लिए आदिपुर (कच्छ का एक कस्बा जहां आडवाणी और उनका परिवार विभाजन के बाद आए थे) में रहे। इसके बाद वे काशी (बनारस या वाराणसी) गए, जहां मेरी दादी अपने जीवन के आखिरी दिन बिताना चाहती थीं।
उन्होंने कहा कि वे वहां 3-4 साल रहे और फिर आदिपुर चले गए। यह मेरे परिवार की पृष्ठभूमि और गुजरात के साथ मेरे परिवार के संबंध हैं। 86 वर्षीय भाजपा नेता अपराह्न में गांधीनगर के कोबा इलाके में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे। (भाषा)